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मानवता की मिसाल बने 108 एम्बुलेंस चालक राजू

locationबैंगलोरPublished: Aug 19, 2020 10:10:14 pm

Submitted by:

Nikhil Kumar

कोरोना महामारी के बीच सेवा के लिए तत्पर राजू महामारी के शुरुआती दिनों से अब तक 800 से ज्यादा कोविड-19 मरीजों को उनके घरों से कोविड अस्पताल या क्वारंटाइन केंद्र पहुंचा चुके हैं।

मानवता की मिसाल बने 108 एम्बुलेंस चालक राजू

कई ऐसे मौके भी आए जब एम्बुलेंस में ही रात गुजारनी पड़ी

निखिल कुमार

बेंगलूरु.

वे सप्ताह में एक बार घर आते हैं लेकिन बाहर से ही पत्नी की कुशलक्षेम पूछ लौट जाते हैं। साथ बैठकर भोजन तो क्या चाय-पानी तक नसीब नहीं है। यह सिलसिला कई महीनों से जारी है। इन्हें हर सूरत में पत्नी को कोरोना संक्रमण से बचाए रखना हैं क्योंकि सवाल एक तीसरी जिंदगी की भी है। पत्नी करीब पांच माह की गर्भवती है जबकि 28 वर्षीय पति राजू 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा के साथ कार्यरत एम्बुलेंस चालक (पायलट) और अब कोरोना वॉरियर हैं। दूसरों के लिए मिसाल बने राजू पूरे प्रदेश में अपने मानवीय कार्य के लिए चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।

कोरोना महामारी के बीच सेवा के लिए तत्पर राजू महामारी के शुरुआती दिनों से अब तक 800 से ज्यादा कोविड-19 मरीजों को उनके घरों से कोविड अस्पताल या क्वारंटाइन केंद्र पहुंचा चुके हैं।

पर राह नहीं आसान
राजू ने पत्रिका को बताया कि उनके और स्वास्थ्यकर्मियों के सामने चुनौतियां अनके हैं। कई बार लोगों के गुस्से व हिंसा का शिकार भी होना पड़ा है। कई ऐसे मौके भी आए जब उन्हें एम्बुलेंस में ही रात गुजारनी पड़ी। देर से एम्बुलेंस पहुंचे या मरीज की मौत होने पर लोगों के गुस्से व भावनाओं को वे समझ सकते हैं। लेकिन हिंसा समाधान नहीं है। वे रायचुर (Raichur District of Karnataka) के मूल निवासी हैं और कोविड ड्यूटी पर होने के कारण कई महीनों से घर नहीं जा सके हैं। भाई और मां रायचुर में ही हैं जबकि राजू अपनी पत्नी के साथ बेंगलूरु में रहते हैं। उनके ड्यूटी पर होने के कारण पड़ोसी और मकान मालिक के परिवार पत्नी की देखभाल करते हैं।

अन्य एम्बुलेंसों से राहत
राजू बताते हैं कि मार्च-अप्रेल में कोविड मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी 108 एम्बुलेंसों पर ही थी। उस समय वे 24 घंटे में 25-30 कोविड मरीजों को अस्पताल पहुंचाते थे। बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका, स्वास्थ्य विभाग व निजी अस्पतालों के एम्बुलेंस सेवा में तैैनात होने से उन्हें राहत मिली हैं। फिलहाल वे रोजाना छह से आठ मरीजों को अस्पताल पहुंचाते हैं।

मानवता सर्वोपरी
जीवीके-इएमआरआइ 108 आपातकालीन सेवा के प्रोग्राम प्रबंधक (दक्षिण कर्नाटक) मोहम्मद आसिफ ने बताया कि प्रदेश में शायद ही कोई ऐसा जिला बचा होगा जहां राजू ने अकेले व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीइ) किट, मास्क, दस्ताना और सैनिटाइजर सहित अन्य सुरक्षात्मक व राहत सामग्री नहीं पहुंचाई हो। राज्य में 108 एम्बुलेंस कर्मचारी समय-समय पर समाजहित के लिए कुछ इस तरह के कार्य कर जाते हैं। राजू इन्हीं में से एक हैं। इनके लिए मानवता सर्वोपरी है। स्वतंत्रता दिवस के दिन विधायक शिवन्ना और तालुक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुदर्शन ने राजू को सम्मानित किया।

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