जयनगर में आध्यात्मिक संतों का मिलन
बैंगलोरPublished: Oct 17, 2021 07:49:29 am
धर्मसभा का आयोजन
जयनगर में आध्यात्मिक संतों का मिलन
बेंगलूरु. जयनगर राजस्थान जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ में आचार्य देवेंद्रसागर ने नवपद ओली की आराधना के पंचम दिवस साधु पद की महिमा से अवगत कराया। उन्होंने कहा धर्मरूपी कल्पवृक्ष पंचमेष्ठि से व्याप्त आत्मा को परमात्मा बनाते हैं। अरिहंत परमात्मा जड़ है, सिद्ध भगवंत फल, आचार्य भगवंत फूल हैं और उपाध्याय पत्ते व साधु भगवंत धड़ के स्थान पर हैं। साधु भगवंत जिनका पंच परमेष्ठी में अंतिम स्थान है किंतु सभी पदों में उनकी महिमा, गरिमा महान है। अरिहंत बनने से पूर्व साधु बनना होता है। सिद्ध, आचार्य और उपाध्याय भी साधु बने बिना प्राप्त नहीं हो सकते। कैवल्य ज्ञान सहित अन्य ज्ञान भी साधू बने बिना प्राप्त नहीं किए जा सकते, सिद्ध पद को प्राप्त नहीं किया जा सकता। मरुदेवी माता ने भी तभी सिद्ध अवस्था को प्राप्त किया जब उनके भावों में साधुता आई। पंच परमेष्ठी के चार पदों में से कोई भी पद बिना साधु बने मिल नहीं सकता। उन्होंने आगे कहा कि त्याग का पर्याय ही साधु जीवन है। घर, पैसा, परिवार, साधन का त्याग तथा पैदल विहार ही साधु जीवन की पहचान है। साधु अपना घर, पैसा, परिवार तथा साधन का त्याग कर ही आगे बढ़ता है। जैन धर्म में साधु को पैदल विहार करना आवष्यक है, जिससे अनेक जीवों की हिंसा बच सकती है। संसार में जितना पैसा अधिक होगा, उतना ही पाप कार्य अधिक होगा। साधु पद उपाध्याय, आचार्य, अरिहंत एवं सिद्ध की जन्म भूमि है। साधु बने बिना कोई भी पद प्राप्त नही हो सकता। हमें अपने जीवन में साधु तथा अगले जन्म में सिद्ध बनने का लक्ष्य रखना चाहिए। साधू की भक्ति से मोक्षमार्ग की आराधना में सहायता की अपेक्षा रखनी है. साधको की साधना में सदा सहायता करने वाले, अप्रमत्त गुण के धारक, लोक में रहे हुए सभी साधू भगवंतों को हमारी भाव पूर्वक वन्दना. इससे पूर्व आचार्य के दर्शनार्थ राम जन्म भूमि मंदिर के संयुक्त सचिव शक्ति सांथानंद महर्षि एवं वन यूनिवर्स ट्रस्ट के पदाधिकारी श्यामबाबू नायडू का आना हुआ। राजस्थान जैन संघ के पदाधिकारियों ने माला शाल ओढ़ाके उनका स्वागत किया। आचार्य ने महर्षि के साथ वार्तालाप करते हुए कहा कि एक अरब से अधिक हिंदुओं को एकजुट करने में बहुत लाभ है। यह किसी राजनेता या संगठन के लिए बहुत आकर्षक हो सकता है। परंतु अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हिंदू पुनर्जागरण के लिए भी हिंदू एकता पहला आवश्यक कदम है।