एस्टर सीएमआइ अस्पताल (Aster CMI) में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. एन. सपना एल. ने बताया कि भारी मासिक धर्म रक्तस्राव की शिकायत के साथ महिला अस्पताल आई थी। तीन वर्ष से उसे पेट और कमर में अनियमित दर्द की शिकायत थी। एमआरआइ व सीटी स्कैन में यूटेराइन फाइब्रॉयड की पुष्टि हुई। लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से फाइब्रॉयड को सावधानी से निकाला गया।
डॉ. सपना ने बताया कि 30-40 आयु वर्ग में यूटेराइन फाइब्रॉयड आम है। हार्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन फाइब्रॉएड के विकास को बढ़ावा देते हैं जबकि रजोनिवृत्ति इसे कम करती है। जेनेटिक्स, इंसुलिन, विटामिन-डी की कमी, लाल मांस, परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट भी इसके कारण हो सकते हैं। फाइब्रॉयड की समस्या अनुवांशिक भी हो सकती है।
फाइब्रॉयड पेशी और रेशेदार ऊतकों के कैंसर रहित ट्यूमर होते हैं, जो आमतौर पर गर्भाशय की दीवार में विकसित होते हैं। इससे स्त्री की सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। लेकिन, इसकी वजह से गर्भाधान में स्त्री को कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। गर्भपात, समय पूर्व प्रसव, गर्भस्थ शिशु की स्थिति में गड़बड़ी, जिससे सामान्य प्रसव संभव नहीं होता और सर्जरी के दौरान ज्यादा रक्तस्राव जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इसकी वजह से कुछ स्त्रियों को एनीमिया भी हो जाता है। यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो, फाइब्रॉयड आकार और संख्या दोनों में बढऩे लगते हैं। भारी मासिक धर्म रक्तसाव, मेनोरेजिया, पैल्विक दबाव, पेट में दर्द, बार-बार पेशाब आना, कब्ज आदि स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बनते हैं।