ठहरे पानी में रोगाणु भी मौजूद
अपने शोध के दौरान प्रोफेसर उपेंद्र और उनकी टीम ने कावेरी नदी में तीन अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने इकट्ठे किए। एक जहां पानी का प्रवाह तीव्र था। दूसरा, जहां प्रवाह धीमा था और तीसरा, जहां पानी जमा हुआ था। शोध के पहले चरण में टीम ने एकत्रित पानी के नमूनों के भौतिक और रासायनिक गुणों को परखा। इन तीन नमूनों में से एक जगह के पानी की गुणवत्ता तय मानदंडों के अनुरूप थी। लेकिन, जहां पानी का प्रवाह धीमा था और जहां जहां पानी स्थिर था वहां के जल नमूनों में प्रदूषण के लक्षण थे। इन स्थलों के पानी में साइक्लोप्स, डैफनिया, स्पाइरोगाइरा, स्पिरोचेटा और ई. कोलाई जैसे रोगाणु भी थे।
अपने शोध के दौरान प्रोफेसर उपेंद्र और उनकी टीम ने कावेरी नदी में तीन अलग-अलग स्थानों से पानी के नमूने इकट्ठे किए। एक जहां पानी का प्रवाह तीव्र था। दूसरा, जहां प्रवाह धीमा था और तीसरा, जहां पानी जमा हुआ था। शोध के पहले चरण में टीम ने एकत्रित पानी के नमूनों के भौतिक और रासायनिक गुणों को परखा। इन तीन नमूनों में से एक जगह के पानी की गुणवत्ता तय मानदंडों के अनुरूप थी। लेकिन, जहां पानी का प्रवाह धीमा था और जहां जहां पानी स्थिर था वहां के जल नमूनों में प्रदूषण के लक्षण थे। इन स्थलों के पानी में साइक्लोप्स, डैफनिया, स्पाइरोगाइरा, स्पिरोचेटा और ई. कोलाई जैसे रोगाणु भी थे।
कैंसर सहित कई बीमारियां संभव
इसके बाद शोधार्थियों की टीम ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए इन नमूनों की जांच की तो उसमें माइक्रोप्लास्टिक और जहरीले रसायन साइक्लोहेक्सिल के कार्यात्मक समूह की मौजूदगी का पता चला। माइक्रोप्लास्टिक्स नंगी आंखों से नहीं देखे जा सकते। माइक्रोप्लास्टिक घरेलू और औद्योगिक उत्पादों में पाए जाते हैं। वहीं, साइक्लोहेक्सिल समूह वाले रसायन जैसे साइक्लोहेक्सिल आइसोसाइनेट अमूमन कृषि और मेडिसिन उद्योग में प्रयुक्त होते हैं। इस शोध के मुख्य लेखक और प्रोफेसर नोंगथोम्बा के अधीन पीएचडी कर रहे अबास तोबा एनिफोवोशे ने कहा कि पानी सबके लिए जरूरी है। अगर पानी प्रदूषित होता है तो इससे कैंसर सहित कई बीमारियां हो सकती हैं।
इसके बाद शोधार्थियों की टीम ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए इन नमूनों की जांच की तो उसमें माइक्रोप्लास्टिक और जहरीले रसायन साइक्लोहेक्सिल के कार्यात्मक समूह की मौजूदगी का पता चला। माइक्रोप्लास्टिक्स नंगी आंखों से नहीं देखे जा सकते। माइक्रोप्लास्टिक घरेलू और औद्योगिक उत्पादों में पाए जाते हैं। वहीं, साइक्लोहेक्सिल समूह वाले रसायन जैसे साइक्लोहेक्सिल आइसोसाइनेट अमूमन कृषि और मेडिसिन उद्योग में प्रयुक्त होते हैं। इस शोध के मुख्य लेखक और प्रोफेसर नोंगथोम्बा के अधीन पीएचडी कर रहे अबास तोबा एनिफोवोशे ने कहा कि पानी सबके लिए जरूरी है। अगर पानी प्रदूषित होता है तो इससे कैंसर सहित कई बीमारियां हो सकती हैं।
जेब्राफिश के भू्रण पर अध्ययन
अपने अध्ययन के दूसरे चरण में शोधार्थियों की टीम ने जांच किया कि क्या जल में पाए गए प्रदूषक मछलियों में विकासात्मक असामान्यताओं के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने तीन स्थलों से एकत्रित किए गए पानी में मशहूर मॉडल जीव जेब्राफिश के भू्रण पर शोध किया और पाया कि कावेरी नदी के धीमे प्रवाह वाले एवं स्थिर पानी के संपर्क में आने वाले भू्रण के कंकाल में विकृति आई। इसके अलावा डीएनए क्षतिग्रस्त हुआ, कोशिकाएं पहले ही मरने लगीं, दिल संबंधी परेशानियां रहीं और ऐसी मछलियों की मृत्यु दर भी अधिक रही। इस पानी से रोगाणुओं को छानकर हटा दिए जाने के बावजूद इस तरह के दोष देखे गए। शोधकर्ताओं ने इसे माइक्रोप्लास्टिक और साइक्लोहेक्सिल रसायन का प्रभाव माना। इन मछलियों की कोशिकाओं में अस्थिर अणु आरओएस भी असामान्य रूप से विकसित हो रहा था। आरओएस डीएनए को क्षतिग्रस्त करने का कारक माना जाता है और जानवरों पर उसका ठीक वही प्रभाव होता है, जैसा मछलियों के शारीरिक ढांचे में हुआ है।
अपने अध्ययन के दूसरे चरण में शोधार्थियों की टीम ने जांच किया कि क्या जल में पाए गए प्रदूषक मछलियों में विकासात्मक असामान्यताओं के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने तीन स्थलों से एकत्रित किए गए पानी में मशहूर मॉडल जीव जेब्राफिश के भू्रण पर शोध किया और पाया कि कावेरी नदी के धीमे प्रवाह वाले एवं स्थिर पानी के संपर्क में आने वाले भू्रण के कंकाल में विकृति आई। इसके अलावा डीएनए क्षतिग्रस्त हुआ, कोशिकाएं पहले ही मरने लगीं, दिल संबंधी परेशानियां रहीं और ऐसी मछलियों की मृत्यु दर भी अधिक रही। इस पानी से रोगाणुओं को छानकर हटा दिए जाने के बावजूद इस तरह के दोष देखे गए। शोधकर्ताओं ने इसे माइक्रोप्लास्टिक और साइक्लोहेक्सिल रसायन का प्रभाव माना। इन मछलियों की कोशिकाओं में अस्थिर अणु आरओएस भी असामान्य रूप से विकसित हो रहा था। आरओएस डीएनए को क्षतिग्रस्त करने का कारक माना जाता है और जानवरों पर उसका ठीक वही प्रभाव होता है, जैसा मछलियों के शारीरिक ढांचे में हुआ है।
कावेरी नदी का पानी पीने वालों के लिए क्या?
प्रोफेसर उपेंद्र ने कहा कि नीदरलैंड में हाल में किए गए शोध से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक मानव के रक्त में भी पहुंच सकते हैं। सवाल यह है कि लाखों लोग जो कावेरी नदी के पानी इस्तेमाल करते हैं उनका क्या होगा? वैज्ञानिकों ने कहा है कि कावेरी जल में सांद्रता का वर्तमान स्तर मनुष्यों के लिए उतना खतरनाक नहीं है लेकिन, दीर्घकालिक प्रभावों से इनकार नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक अब यह पता लगा रहे हैं कि माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में मानव शरीर में कैसे पहुंच सकता है।
प्रोफेसर उपेंद्र ने कहा कि नीदरलैंड में हाल में किए गए शोध से पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक मानव के रक्त में भी पहुंच सकते हैं। सवाल यह है कि लाखों लोग जो कावेरी नदी के पानी इस्तेमाल करते हैं उनका क्या होगा? वैज्ञानिकों ने कहा है कि कावेरी जल में सांद्रता का वर्तमान स्तर मनुष्यों के लिए उतना खतरनाक नहीं है लेकिन, दीर्घकालिक प्रभावों से इनकार नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक अब यह पता लगा रहे हैं कि माइक्रोप्लास्टिक वास्तव में मानव शरीर में कैसे पहुंच सकता है।