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सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बनाने वालों का धरना

locationबैंगलोरPublished: Jan 21, 2020 09:05:42 pm

Submitted by:

Surendra Rajpurohit

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआइटीयू) और अक्षर दासोहा गर्म भोजने बनाने वाले कार्यकर्ता के महासंघ के बैनर तले हावेरी, गदग, बल्लारी, चिकमगलूर, तुमकूरु, यादगीर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में पहुंची कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। सुबह बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन से रैली के रूप में फ्रीडम पार्क पहुंचीं। यह प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहेगा।

सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बनाने वालों का धरना

सरकारी स्कूलों में मिड डे मील बनाने वालों का धरना

मांगों पर सार्थक आश्वासन तक प्रदर्शन की चेतावनी
बेंगलूरु. राज्य के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) तैयार करने वाली महिला कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को विभिन्न मांगों को लेकर सिटी रेलवे स्टेशन से लेकर फ्रीडम पार्क तक जुलूस निकाला। कार्यकर्ताएं राज्य सरकार से अपनी 12 मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग कर रही हैं। काम बंद धरना, प्रदर्शन से सरकारी स्कूलों के हजारों बच्चों को होने वाली भोजन की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीआइटीयू) और अक्षर दासोहा गर्म भोजने बनाने वाले कार्यकर्ता के महासंघ के बैनर तले हावेरी, गदग, बल्लारी, चिकमगलूर, तुमकूरु, यादगीर सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में पहुंची कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च के दौरान सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। सुबह बड़ी संख्या में कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन से रैली के रूप में फ्रीडम पार्क पहुंचीं। यह प्रदर्शन बुधवार को भी जारी रहेगा।
मिड-डे मील वकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एचके रामचंद्रप्पा ने कहा कि कार्यकर्ताओं को भविष्य निधि, कर्मचारी राज्य बीमा और श्रम कानून के अंतर्गत लाया जाए। रोजगार सुरक्षा का आश्वासन मिले। भोजन आपूर्ति में निजी कंपनियों को शामिल नहीं किया जाए। सेवानिवृत्ति के बाद तीन हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन सहित एक बार में दो लाख रुपए का भुगतान हो। हर माह की 5 तारीख को वेतन का भुगतान किया जाए।
रामचंद्रप्पा ने बताया कि प्रदेश भर में करीब १.१८ लाख महिलाएं मध्याह्न भोजन योजना के तहत कार्यरत हैं। ज्यादातर महिलाएं एक दशक से ज्यादा समय से अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। मानदेय के रूप सरकार चंद हजार रुपए देती है। सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिलती।
कुछ कार्यकर्ताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते मांगों को नहीं माना गया तो ये धरना अनिश्चितकालीन तक जारी रहेगा। इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम लोग सुबह 9 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक स्कूलों में भोजन बनाने और रसोई से जुड़े काम करती हैं। लेकिन सरकार मुख्य रसोइये को लेकर 2700 रुपए तथा सहायक रसोइये को 2600 रुपए प्रतिमाह दे रही है। बहुत सी महिलाएं 17 साल से भोजन बना रही हैं। स्कूलों में नया मीनू लागू किया गया है, जिसकी वजह से काम कर पाना संभव नहीं हो रहा है और हमें न्यूनतम वेतन तक नहीं मिल रहा है। लिहाजा हम अपने छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर दो दिन धरना देने आई हैं। इस दौरान स्कूलों में भोजन नहीं पकेगा। रैली की वजह से शहर के आनंद राव सर्कल, केआर ेसर्कल तथा हडसन सर्कल पर कुछ समय तक यातायात जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई।
बच्चों की माताओं ने पकाया भोजन
डीपीआई के उप निदेशक पांडुरंगा ने बताया कि कई स्कूलों में मां समिति (स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की माताओं की समिति) की सदस्यों ने भोजन बनाया। हड़ताल के मद्देनजर लोक शिक्षण विभाग ने मां समिति के सदस्यों को बच्चों के लिए भोजन बनाने की अपील की थी। केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षा विभाग को सभी स्कूलों में मां समिति का गठन करना है। मांग समिति की सदस्य स्वैच्छिक रूप से भोजन बनाने और बच्चों को परोसने की प्रक्रिया की अगुवाई करती हैं।

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