बैंगलोर

कोविड के माइल्ड मरीजों में एंटीबॉडी, गंभीर मरीजों से ज्यादा

कोविड से उबरे लोगों से दान में प्लाज्मा लेने से पहले एंटीबॉडी की जांच होती है। कई मामलों में देखा गया है कि माइल्ड लक्षण वाले मरीजों में ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हुई जबकि कोविड के गंभीर और बेहद गंभीर मरीजों में यह बात नहीं थी।

बैंगलोरSep 07, 2020 / 06:02 pm

Nikhil Kumar

कोविड के माइल्ड मरीजों में एंटीबॉडी, गंभीर मरीजों से ज्यादा

-17 फीसदी मरीजों पर रीइंफेक्शन का खतरा

बेंगलूरु. प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) क्लिनिकल ट्रायल के प्रमुख और एचसीजी अस्पताल में कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. यू. एस. विशाल राव ने बताया कि अस्पताल में प्लाज्मा बैंक स्थापित होने के बाद से राज्य के 55 अस्पतालों में करीब 375 प्लाज्मा बैगों की आपूर्ति हुई है। एक बैग चेन्नई और दो बैग श्रीनगर भी भेजे गए हैं।

कोविड से उबरे लोगों से दान में प्लाज्मा लेने से पहले एंटीबॉडी की जांच होती है। कई मामलों में देखा गया है कि माइल्ड लक्षण वाले मरीजों में ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी विकसित हुई जबकि कोविड के गंभीर और बेहद गंभीर मरीजों में यह बात नहीं थी।

चीन के एक अध्ययन के अनुसार 17 फीसदी मरीज स्वस्थ होने के बाद दोबारा संक्रमित हो सकते हैं। इस बात को लेकर वे शुरू से चिकित्सकों, स्वास्थ्य विभाग और अन्य स्वास्थ्यकर्मचारियों को आगाह करते रहे हैं। एक बार संक्रमित और स्वस्थ होने के बाद मरीज की इम्यून सिस्टम पहले से ही कमजोर होती है। ऐसे में रीइंफेक्शन शरीर को कितना, किस हद तक और किन-किन अंगों को प्रभावित करेगा का अंदाजा नहीं है। दीर्घकालिक प्रभाव को समझने की जरूरत है।

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