यह रिपोर्ट सच्चाई से कोसों दूर है। इसलिए मंत्रिमंडल ने यह रिपोर्ट खारिज करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जब मानपाडी ने यह रिपोर्ट पेश की तब राज्य में भाजपा की सदानंद गौड़ा की सरकार थी। सरकार ने डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की थी। तब भाजपा इस मामले को लेकर क्यों चुप थे? भाजपा सदस्यों ने कहा कि यह गंभीर मामला राज्य में लाखों करोड़ मूल्य की वक्फ बोर्ड की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है।
राज्य सरकार इस मामले में एक समुदाय विशेष के कई प्रभावी नेताओं को बचाने का प्रयास कर रही है। इस मामले की सीबीआइ जांच होनी चाहिए। इस मांग को लेकर सदन में हंगामा शुरू हो गया। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्यों ने इस मामले को लेकर जमीर के साथ मंत्रणा की। तब जमीर ने फिर सफाई दी कि उन्होंने यह कहा कि सीबीआइ जांच की मांग पर विचार करेंगे। लेकिन भाजपा ने मंत्री के स्पष्टीकरण को मानने से इनकार करते हुए कहा कि मंत्री ने जो भी आश्वासन दिया, वह कार्यवाही में रिकार्ड हो चुका है।
बिना सोचे बोल कर फंसे
हंगामे के बीच ही भाजपा सदस्यों ने जमीर से पूछा कि क्या वे यह मामला सीबीआइ को सौंपने के लिए तैयार हैं, शोर-शराबे के बीच ही आवेश में आकर जमीर ने कहा कि हां क्यों नहीं? भाजपा ने मंत्री के इन शब्दों का आधार लेते हुए कहा की जमीर ने इस मामले की सीबीआइ जांच के लिए तैयार होने का वादा किया है। कांग्रेस के कई वरिष्ठ सदस्य जमीर के इस बयान से असहज दिखेे। उधर भाजपा सदस्यों ने मेज थपथपा कर जमीर के इस वादे का स्वागत किया।