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मीडिया से संवाद में बोले मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या, प्रदेश में नहीं चलेगा मोदी का जादू

locationबैंगलोरPublished: May 07, 2018 05:07:14 am

मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि प्रदेश की जनता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू का असर नहीं होगा.

CM Siddaramaiah

बेंगलूरु. मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि प्रदेश की जनता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू का असर नहीं होगा और जनता चुनाव प्रचार के दौरान उनके द्वारा फैलाए जा रहे झूठ पर विश्वास नहीं करेगी। सिद्धरामय्या ने रविवार को यहां प्रेस क्लब में मीडिया संवाद में कहा कि वे प्रधानमंत्री के नाते मोदी का पूरा सम्मान करते हैं पर मोदी अपने पद की गरिमा की हदों को पार कर गए हैं। वे कांग्रेस सरकार के बारे में झूठा प्रचार कर रहे हैं। लेकिन राज्य के लोग उन पर विश्वास नहीं करेंगे क्योंकि वे वास्तविकता जानते हैं।


प्रधानमंत्री घृणा फैलाने के साथ ही बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं। मौजूदा चुनाव में धर्मनिरपेक्षता व सांप्रदायिकता तथा विकास बनाम अविकास संघर्ष हो रही है। ये चुनाव 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के आगे बढऩे की बुनियादी रखेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि कागजों पर यह प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस, भाजपा व जद (ध) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है लेकिन वास्तव में दक्षिण कर्ना़टक में कांग्रेस व जद (ध) के बीच जबकि उत्तर कर्नाटक में भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है।


मोदी पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मोदी व शाह की शह पर कांग्रेसजन व मंंत्रियों के ठिकानों पर आयकर छापे डालकर उनकी छवि धूमिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। महादयी मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने का भाजपा द्वारा प्रयास करने के मोदी के बयान पर सिद्धरामय्या ने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक स्टंट है।

जब वे इस मसले को सुलझाने की मांग को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल के साथ उनसे मिले थे तब उन्होंने सामान्य हल तलाशने के लिए दखल क्यों नहीं किया? कर्नाटक को महादयी से 7.56 टीएमसी पानी पेयजल के लिए दिलाने के लिए महाराष्ट्र, कर्नाटक व गोवा को बातचीत की टेबल पर बुलाने का उनको पूरा अधिकार था लेकिन उन्होंने इस मसले पर एक शब्द तक नहीं कहा।

दावा : चुनाव में लिंगायत पृथक धर्म कोई मुद्दा नहीं
मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने कहा कि लिंगायतों को पृथक धर्म का दर्जा देना कोई चुनावी मुद्दा नहीं है और लिहाजा पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान इस बारे में मौन साधे रखा है। सिद्धरामय्या ने कहा कि लिंगायत समुदाय के पृथक धर्म का दर्जा देने के बारे में राज्य सरकार ने सिफारिश की है और गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है। उन्होंने कहा कि दार्शनिक व समाज सुधारक संत बसवण्णा के अनुयायियों ने लिंगायत समुदाय को पृथक धर्म का दर्जा देने के बारे में मांग की जिसके मद्देनजर राज्य सरकार ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग को इस बारे में अध्ययन कर रिपोर्ट पेश करने को कहा। आयोग द्वारा गठित की गई समिति की रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने निर्णय किया है और इसके पीछे किसी धर्म को बांटने का सरकार का कोई इरादा नहीं था।


सिद्धरामय्या ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगडऩे के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्य ने गुजरात को दूसरे स्थान पर धकेलकर 2015-16 तथा 2016-17 में निवेश आकर्षित करने के मामले में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। यदि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी होती तो ऐसा नहीं हो पाता। 2013 में जब उन्होंने प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली थी तब राज्य निवेश के मामले में देश में तेरहवें स्थान पर था और गुजरात पहले स्थान पर था।


उन्होंने आरोप लगाया कि वित्तीय संसाधन आवंटित करने के मामले में मोदी सरकार ने कर्नाटक की निरंतर उपेक्षा की है। राज्य जब लगातार दो सालों से सूखे की स्थिति का सामना कर रहा था तब भी मोदी सरकार ने एनडीआरएफ के तहत अनुदान को बढ़ाने से मना कर दिया। इसी तरह 14 वें वित्त आयोग के आवंटनों में भी कर्नाटक के साथ अन्याय किया गया है। हालांकि केंद्र ने पिछले वित्त आयोग की सिफारिशों की तुलना में आवंटन बढ़ाने का दावा किया है लेकिन मोदी सरकार को ऐसा करके उन्होंने हमारे साथ कोई दया या मेहरबानी नहीं की है बल्कि राज्य से केन्द्रीय करों की अधिक वसूली की वजह से ऐसा किया गया है।


मोदी व शाह हिसाब मांगकर ओछी राजनीति कर रहे हैं। राज्य सरकार विधानमंडल के प्रति जवाबदेह है राज्य का तामाम लेखा जोखा विधानमंडल में हर साल पेश किया जाता है और साल में दो बार मध्यावधि वित्तीय उपलब्धियों को सदन में पेश किया जाता है। यही स्वीकार्य मानक है राज्य सरकार सटीक वित्तीय प्रबंधन के बारे में जानी जाती है। सिद्धरामय्या ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों की बढ़ती दरों पर सवाल खड़ा किया। केंद्र सरकार तेल की ऊंची कीमतों से अर्जित अतिरिक्त आय का कर क्या रही है।

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