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छह माह के मिशन पर भेजे गए MOM ने पूरे किए 5 साल

locationबैंगलोरPublished: Sep 24, 2019 07:32:05 pm

Submitted by:

Rajeev Mishra

Mars orbiter mission अब भी सक्रिय, methane की तलाश में data analysis जारी, 450 crore के सस्ते मिशन का world ने लोहा माना

छह माह के मिशन पर भेजे गए MOM  ने पूरे किए 5 साल

छह माह के मिशन पर भेजे गए MOM ने पूरे किए 5 साल

बेंगलूरु. चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर चंद्रयान-2 (chandryaan-2) के लैंडर विक्रम (lander vikram) की सॉफ्ट लैंडिंग में आई तकनीकी विसंगतियों की चर्चा के बीच मंगल ग्रह (mars) की कक्षा में परिक्रमा कर रहे देश के पहले अंतरग्रहीय मिशन मंगलयान (mangalyaan) ने पांच साल पूरे कर लिए। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ISRO ने विश्व के इस सबसे सस्ते मिशन (महज 450 करोड़ की लागत) को सिर्फ छह महीने के लिए भेजा था मगर पांच साल बाद भी यान सक्रिय है।
दरअसल, 24 सितम्बर भारतीय इतिहास और विशेष रूप से भारतीय ग्रह विज्ञान (interplanetary science) के लिए एक अविस्मणीय दिन है। इस दिन देश का पहला अंतरग्रहीय मिशन मंगलयान मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया। ग्रह विज्ञान की दुनिया में भारत पहला ऐसा देश बना जिसने पहले ही प्रयास में अपना उपग्रह मंगल की कक्षा में स्थापित किया। तकनीक रूप से यह मिशन बेहद सफल और परिशुद्धता के अत्यंत करीब रहा। पांच पे-लोड (payload) वाले इस मिशन में मीथेन सेंसर फॉर मार्स (msm) और मार्स कलर कैमरा (mcc) दो बेहद अहम उपकरण है। पहले वर्ष मंगलयान ने 1 terabyte आंकड़े भेजे और अब पांच वर्षों में 5 टेराबाइट से अधिक आंकड़े मंगलयान से मिल चुके होंगे। इन आंकड़ों का विश्लेषण जारी है।

मीथेन की तलाश में आंकड़ों का विश्लेषण जारी
हालांकि, इस मिशन से मंगल ग्रह पर मीथेन की उपलब्धता होने के प्रमाण मिलने की उम्मीद थी लेकिन अभी तक इस संदर्भ में इसरो ने कोई जानकारी नहीं दी है। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि मंगलयान के सभी उपकरण ठीक है और अभी भी आंकड़े भेज रहे हैं। मीथेन सेंसर के आंकड़ों पर वे फिलहाल कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि आंकड़ों का विश्लेषण अभी हो रहा है। मंगलयान के अधिकांश पे-लोड तैयार करने वाले इसरो अनुप्रयोग केंद्र अहमदाबाद ISAC AHMEDABAD इसरो डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) ब्यालालू और अन्य केंद्रों द्वारा मंगल ग्रह से प्राप्त आंकड़ों के गूढ़ रहस्य को समझने का प्रयास हो रहा है।
हालांकि, मंगल की कक्षा में मंगलयान ने 5 वर्ष (धरती) पूरे कर लिए हैं लेकिन मंगल पर एक वर्ष 680 पृथ्वी दिन के बराबर होता है और इस हिसाब से मंगल के लगभग ढाई वर्ष पूरे हुए हैं। इन वर्षों में मंगलयान के आंकड़ों से तैयार मार्स एटलस, काफी संख्या में शोध पत्रों का प्रकाशन, देश के युवाओं में पैदा हुआ भारी उत्साह, दो हजार रुपए के नोट पर मंगलयान की तस्वीर का प्रकाशन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मिशन ने जो सम्मान बटोरा वह इसकी शानदार सफलता को बयान करता है।

मंगलयान: अहम पड़ाव
5 नवम्बर 2013: पीएसएलवी सी-25 से श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण
4 दिसम्बर 2013: धरती के गुरुत्वाकर्षण से निकल मंगल के पथ पर प्रस्थान
12 दिसम्बर 2013: पहला पथ सुधार
11 फरवरी 2014: मंगलयान के 100 दिन पूरे
9 अप्रेल 2014: आधी दूरी पूरी (299 दिन)
11 जून 2014: दूसरा पथ सुधार
24 सितम्बर 2014: मंगल की कक्षा में प्रवेश
19 जून 2017: मंगल की कक्षा में एक हजार दिन पूरे
24 सितम्बर 2019: मंगल की कक्षा में 5 साल पूरे

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