आजीवन सुरक्षा वाली एकल खुराक टीका विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार गोवा (Goa) से सबक ले। प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को नए सिरे से काम करे। विशेषज्ञों का सुझाव है कि kfd vaccine पर शोध हो। आजीवन सुरक्षा वाली एकल खुराक वैक्सीन की जरूरत है। प्रोटोकॉल के पालन के साथ प्रभावी टीकाकरण अभियान समय की मांग है।
10 किलोमीटर की परिधि में सभी का टीका Manipal वायरोलॉजी प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. जी. अरुण कुमार के अनुसार केएफडी से निपटने के लिए Health Department को अपनी रणनीति बदलनी होगी। शून्य मृत्यु नीति पर काम करना होगा। इसके लिए जरूरी है कि समय रहते मरीजों की पहचान हो। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (Primary Health centre), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centre) और तालुक अस्पताल स्तर पर ही केएफडी से निपटा जाए। प्रभावित क्षेत्रों के आसपास के स्वास्थ्य निकायों को तैयार रहने की जरूरत है। एक बार मामला सामने आने के बाद प्रभावित क्षेत्र के 10 किलोमीटर की परिधि में हर किसी का टीकाकरण हो। प्रसार को रोकने के लिए टीकाकरण सर्वश्रेष्ठ ज्ञात उपाय है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इसमें पूरी तरह से सफल नहीं रहा है।
टीकाकरण के बावजूद शिकार हालांकि स्वास्थ्य विभगा के समक्ष दो चुनौतियां हैं। पहला की टीके को लेकर क्षेत्रीय लोग गंभीर नहीं हैं। दूसरा, टीकाकरण (Vaccination) के बावजूद लोग केएफडी का शिकार हुए हैं। इस पर अनुसांधान की जरूरत है। इसकी संभावना भी है कि टीकाकरण ठीक से नहीं हुआ हो। नवंबर-मई में केएफडी का प्रसार ज्यादा होता है। इसलिए टीकाकरण अभियान इससे काफी पहले शुरू करने की जरूरत है।
गंभीर नहीं लोग
राज्य वायरल डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला के उप निदेशक डॉ. एस. के. किरण का कहना है कि इस बार केएफडी को लेकर हर सावधानी बरती जा रही है। करीब एक माह से शिवमोग्गा में टीकाकरण अभियान जारी है। समस्या यह है कि लोग आगे नहीं आते हैं। साल में दो टीके लगाए जाते हैं। लोगों से अपील है कि खुद भी टीक लगवाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें। स्वास्थ्य विभाग भी जागरूकता अभियान चला रहा है। केएफडी का कोई ज्ञात उपचार नहीं है। लक्षणों के आधार पर उपचार होता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के फील्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. एसके किरण के अनुसार बुखार, उल्टी (Vomiting), जोड़ों में दर्द एवं नाक और मसूड़ों से खून केएफडी के प्रमुख लक्षण हो सकते हैं।