हमलावर हुए बंदर
बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) को लोग फोन कर शिकायत कर रहे हैं कि पानी और भोजन की तलाश में Monkey उनके घरों में प्रवेश कर रहे हैं। इतना ही नहीं, ये बंदर लोगों और विशेषकर बच्चों से पेयजल और खाद्य पदार्थ झपट रहे हैं। बंदरों द्वारा हमले के कुछ मामले भी सामने आए हैं।
मानव-पशु संघर्ष की स्थिति
बीबीएमपी और वन विभाग ने लोगों को चेताया है। बेंगलूरु शहर के उप वन संरक्षक रविंद्र कुमार एन. ने बताया कि निर्माण कार्यों के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने बंदरों को बेघर कर दिया है। यह मानव-पशु संघर्ष की स्थिति है।
लंगूर के कट आउट लगाने का सुझाव
कुमार ने उन क्षेत्रों में लंगूर के कट आउट लगाने का सुझाव दिया, जहां बंदरों की आबादी ज्यादा है। बंदरों की शिकायत मिलने पर वन विभाग उसे समाधान के लिए बीबीएमपी को रेफर करता है। लोगों की मदद के लिए बीबीएमपी ने हेल्पलाइन (1526) स्थापित किया है।
यहां-वहां भोजन नहीं दें
बीबीएमपी में उप वन संरक्षक बीएलजी स्वामी ने कहा कि लोगों को सलाह दी गई है कि बंदरों को यहां-वहां भोजन नहीं दें। इसके लिए एक निर्दिष्ट आहार क्षेत्र स्थापित किया जा सकता है। यदि बंदर आक्रामक हो जाता है तो बीबीएमपी टीम हस्तक्षेप करती है। बंदरों को रोकने के लिए सौर ऊर्जा संचालित बाड़, ग्रिल और जाल लगाने जैसी योजनाओं पर विचार किया जा रहा है।
500 रुपए तक का जुर्माना
कुछ रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन्स ने नोटिस जारी कर लोगों से बंदरों को खाना खिलाने से परहेज करने का आग्रह किया है। एसोसिएशन ने जानवरों के लिए बाहर खाना छोड़ते हुए पकड़े जाने पर 500 रुपए तक का जुर्माना लगाने की बात कही है।