एक चिकित्सक ने बताया कि नियमानुसार इंटर्नशिप के बाद चिकित्सा शिक्षा निदेशालय (डीएमइ) अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करता है। इसके आधार पर कर्नाटक चिकित्सा संघ में पंजीयन होता है। एनओसी मिलते ही संबंधित कॉलेज विद्यार्थियों के मूल प्रमाणपत्र आदि सौंपते हैं। इन सब से पहले ग्रामीण सेवा अनिवार्य है। चिकित्सक दो माह से भी ज्यादा समय से पोस्टिंग के इंतजार में हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. पी. जी. गिरीश के अनुसार निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालय से निजी कोटे पर एमबीबीएस करने वाले चिकित्सकों के लिए भी ग्रामीण सेवा अनिवार्य है या नहीं इस पर स्पष्टता नहीं है। सरकारी और निजी कॉलेजों से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थियों की सूची मांगी गई है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग काउंसलिंग के माध्यम से संबंधितों को नियुक्ति पत्र जारी करेगा। इसमें डीएमइ की कोई भूमिका नहीं है।
डॉ. गिरीश ने बताया कि अदालत ने जुलाई 2015 से पहले दाखिला लेने वाले सभी कोटे के छात्रों को अनिवार्य ग्रामीण सेवा से छूट दी है। पोस्टिंग संबंधित जो भी खत विद्यार्थी भेजते हैं उसे स्वास्थ्य विभाग को भेज दिया जाता है।
पोस्टिंग का इंतजार कर रहे डॉ. अब्दुल खादर ने बताया कि एनओसी के लिए जब वे डीएमइ कार्यालय गए, तो कहा गया कि एनओसी के लिए ग्रामीण सेवा अनिवार्य है। चिकित्सक ग्रामीण सेवा के लिए तैयार हैं लेकिन सरकार देर कर रही है।
जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी और निजी कॉलेजों से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले विद्यार्थियों की सूची मांगी गई है। जिसके बाद विभाग काउंसलिंग के माध्यम से संबंधितों को नियुक्ति पत्र जारी करेगा।