राजेंद्र भवन में मुनि हितचन्द विजय की निश्रा में गुणानुवाद सभा हुई। उन्होंने कहा कि आज पुत्र का मोह तो सभी को है। किसी को दीक्षा की भावना जागृत करें ताकि जिनशासन में काम आए। इसके बिना जिनशासन असंभव है। जिनशासन की पेढ़ी चलाने के लिए साधु साध्वी की आवश्यकता होती है। एक साधु तैयार करना बड़ा कठिन है। उपाध्यक्ष धीरज भण्डारी ने स्वागत किया। बहनों ने स्वागत गीत ‘अद्भुत जिनशासन को वंदन वंदन…’ पेश किया। नेमीचंद वेदमुथा ने आचार्य राजेंद्र गुरु के जीवन पर प्रकाश डाला। सचिव मांगीलाल वेदमुथा, सोहन मेहता, चम्पालाल ने आचार्य के प्रति भावना व्यक्त की। संघ पदाधिकारियों व ट्रस्टियों ने मुनि हितचन्द विजय को काम्बली ओढ़ाई। मंदिर में दोपहर में राजेंद्रसूरी अष्टप्रकारी पूजा हुई। राज राजेंद्र सूरी संगीत मंडल मामुलपेट द्वारा शाम को मंदिर में अंगरचना एवं भक्ति भावना का आयोजन हुआ।