बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने महाश्रमण समवशरण में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि सुख दो प्रकार के होते हैं। पहला सुख मानसिक और दूसरा आत्मिक सुख होता है। व्यक्ति दोनों सुखों में अनुकूलता का अनुभव करते हैं परंतु दोनों सुखों की प्रकृति में बहुत अंतर होता है। इंद्रियजनित मानसिक सुख अंशकालिक और बाधायुक्त होता है। इसमें बीच-बीच में रुकावट आती रहती है। आत्मिक सुख निर्बाध और अनन्तकालिक होता है। हमारा मन इंद्रियों से जुड़ा होता है और जब तक मन को अच्छा लगे तब तक इन्द्रियजनित सुख अच्छा लगता है परंतु इन्द्रियों के विपरीत जब बात होती है तो इसमें दुख का अनुभव होने लग जाता है।
व्यक्ति को दोनों सुखों में चुनाव करना हो तो आत्मिक सुख को चुनना चाहिए। क्योंकि इंद्रियजनित सुख क्षणिक होते हैं और उसके बाद उसमें दुख का अनुभव होने लग जाता है। आत्मिक सुख निरंतर रहता है जैसे-जैसे इंद्रिय सुख से हम दूर होंगे वैसे-वैसे आत्मिक सुख की ओर बढ़ते रहेंगे। विषयों से दूर रहने पर आत्मिक सुख की ओर बढऩा सुगम हो जाता है। साधु-साध्वी इन्द्रियजनित सुख छोड़कर मोक्ष के मार्ग की ओर बढऩे के लिए साधना का पथ चुनते हैं। उसी प्रकार श्रावकों को भी इन्द्रिय सुख से ऊपर उठकर आत्मिक सुख की ओर बढऩा चाहिए। आत्मिक सुख के बजाय इंद्रिय सुख को चुनना वैसे ही हो जाता है जैसे बड़ी वस्तु को छोड़कर कुछ वस्तु को चुनना। व्यक्ति को दीर्घ दृष्टि और परम दृष्टि से चिंतन कर आत्मिक सुख की ओर बढऩा चाहिए। आगम का स्वाध्याय आत्मिक सुख का पथ दिखाने वाला होता है।
साधु को शुक्ल लेश्या में रहकर साधना करनी चाहिए और पुरुषार्थ कर निर्जरा भी करनी चाहिए। साधुओं को भौतिक साधन से दूर रहकर साधना की ओर बढऩे की प्रेरणा दी और उन्हें सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और समित चरित्र के माध्यम से साधना पथ पर चलने के लिए उत्प्रेरित किया। आचार्य प्रवर ने साधु साध्वियों को प्रेरणा दी की साधु साधन का प्रयोग न कर साधना के मार्ग में आगे बढऩे का लक्ष्य रखें। साधन भी हो तो सम्यक ज्ञान दर्शन चरित्र का साधन रहे। आचार्य ने चतुर्दशी के उपलक्ष में हाजिरी का वाचन करवाया। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि हाजरी में जिन मर्यादाओं का वाचन होता है उनके प्रति सभी सजग रहें और आचार्य प्रवर इस दिशा में निरंतर हमें प्रेरणा पाथेय प्रदान कर रहे हैं। प्रवचन में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने आचार्य के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रवचन कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
गायन प्रतियोगिता का समापन अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास की ओर से 20वीं गायन प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। कोटा की एलिना भारती ने गुरु सान्निध्य में एकल गीत की प्रस्तुति दी। समूह गायन में साउथ प्वाइंट स्कूल नागपुर ने शांति का संदेश की प्रस्तुति दी। प्रथम से आठवीं तक के बच्चों की एकल कनिष्ठ गायन प्रतियोगिता में प्रथम संतोष गुप्ता दिल्ली, द्वितीय संदीप आदित्य छत्तीसगढ़ व अधिराज भटनागर महाराष्ट्र, तृतीय स्थान पर शाश्वत ठाकुर उत्तरप्रदेश व संदीप आदित्य छत्तीसगढ़ रहे। समूह गायन प्रतियोगिता में कनिष्ठ वर्ग में प्रथम- स्कूल ऑफ स्कॉलर नागपुर, द्वितीय आर्मी पब्लिक स्कूल दिल्ली व नालाजी मेमोरियल स्कूल चेन्नई, तृतीय स्थान पर विद्या भारती स्कूल उत्तर प्रदेश रहे। वरिष्ठ वर्ग एकल में प्रथम कोटा की एलिना भारती, द्वितीय-सुदीप्त दिल्ली,तृतीय सृष्टि गोस्वामी रायपुर व अमिता पवित्रम चेन्नई रही। वरिष्ठ वर्ग समूह गायन प्रतियोगिता में प्र्रथम साउथ प्वाइंट स्कूल नागपुर, द्वितीय टैगोर पब्लिक स्कूल जयपुर व तृतीय नालाजी मेमोरियल स्कूल चेन्नई रहे। गायन प्रतियोगिता में 18 राज्यों से 514 बच्चों ने भाग लिया।
मुस्लिम धर्मावलम्बी मिले आचार्य से दोपहर में आचार्य महाश्रमण से मुस्लिम समुदाय के सूफी गुरु हजरत ख्वाजा सैयद शाह, मोहम्मद जैनुल्लाबुद्दीन तुराबी अपने समुदाय के साथ यहां पहुंचे। मुस्लिम समुदाय के युवा ऑथर जेड. ए. मो. अराफात आलम ने जैन श्लोकों का उल्लेख करते हुए उत्कृष्ट वक्तव्य दिया। सामूहिक धार्मिक कार्यक्रम में समिति अध्यक्ष मूलचंद नाहर, कोषाध्यक्ष प्रकाश लोढ़ा, ललित आच्छा उपस्थित रहे।