आचार्य महाश्रमण के आज्ञानुवर्ति उग्रविहारी मुनि कमल कुमार के सहयोगी मुनि नमि कुमार के इस चार्तुमास में चल रहे तीसरे मासखमण की सुखसाता पूछने आचार्य अजीतशेखर सूरी चिकपेट आदिनाथ मंदिर से अपने शिष्य मंडली के साथ पहुंचे। मुनि ने आचार्य का स्वागत करते हुए कहा कि 5 वीं बार इनसे मिलन हो रहा है, हर मिलन उत्साहवर्धक एवं जिनशासन की प्रभावना का विशेष निमित्त बना है। आचार्य अजीतशेखर सूरी ने मुनि नमि कुमार के तप की अनुमोदना की। नमि मुनि की तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि तपस्या की अग्नि से सारे कर्मों का नाश किया जा सकता है।
आज लोग डायटिंग करते हैं, जिम जाते हैं तन की चर्बी को घटाने के लिए, पर तपस्या करना ही सही मायने में वह डायटिंग है जिससे कर्मों की चर्बी को मलिन किया जा सकता है। अनेक विषयों पर धर्म चर्चा की व कहा कि तपस्वी के दर्शन करना पुण्य का योग है। मुनि कमल कुमार ने कहा हमारा चातुर्मास चेन्नई था, आचार्य महाश्रमण की कृपा से हमारा चातुर्मास शांतिनगर हुआ। उत्साही श्रावक-श्राविकाओं ने चातुर्मास को सफल बनाने में शक्ति और भक्ति का परिचय दिया है। मुनि नमी कुमार ने स्थान की सुविधा एवं भक्ति भावना को देखते हुए जीवन मे पहली बार एक चातुर्मास में तीन मासखमण करने का लक्ष्य बनाकर पूरे धर्मसंघ मे एक कीर्तिमान बनाया है। आचार्य को रमेश गिलुन्डिया, पारस पगारिया एवं माणिकचंद बलदोटा ने साहित्य भेंट किया।
आज लोग डायटिंग करते हैं, जिम जाते हैं तन की चर्बी को घटाने के लिए, पर तपस्या करना ही सही मायने में वह डायटिंग है जिससे कर्मों की चर्बी को मलिन किया जा सकता है। अनेक विषयों पर धर्म चर्चा की व कहा कि तपस्वी के दर्शन करना पुण्य का योग है। मुनि कमल कुमार ने कहा हमारा चातुर्मास चेन्नई था, आचार्य महाश्रमण की कृपा से हमारा चातुर्मास शांतिनगर हुआ। उत्साही श्रावक-श्राविकाओं ने चातुर्मास को सफल बनाने में शक्ति और भक्ति का परिचय दिया है। मुनि नमी कुमार ने स्थान की सुविधा एवं भक्ति भावना को देखते हुए जीवन मे पहली बार एक चातुर्मास में तीन मासखमण करने का लक्ष्य बनाकर पूरे धर्मसंघ मे एक कीर्तिमान बनाया है। आचार्य को रमेश गिलुन्डिया, पारस पगारिया एवं माणिकचंद बलदोटा ने साहित्य भेंट किया।