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बैंगलोर

मुमुक्षु का वरघोड़ा निकाला, अभिनंदन किया

उत्साह भरे नारों के साथ सोमवार को मुमुक्षु कीर्तन छत्रगोता का वरघोड़ा निकाला गया

बैंगलोरMar 13, 2018 / 05:45 pm

Ram Naresh Gautam

varghoda
बेंगलूरु. दीक्षार्थी अमर रहे, संसार खारो जहर है, दीक्षा में लीला लहर है, युवा हो तो कैसे हो, कीर्तन भैया जैसे हों…आदि उत्साह भरे नारों के साथ सोमवार को मुमुक्षु कीर्तन छत्रगोता का वरघोड़ा निकाला गया। नगरथपेट से शुरू हुआ वरघोड़ा मुख्य बाजार होते हुए मुनि सुव्रत स्वामी राजेंद्र जैन मंदिर , अवेन्यू रोड पहुंचा। सभा में साध्वी अनन्त गुणाश्री, साध्वी अक्षय गुणाश्री, साध्वी समकित गुणाश्री, साध्वी भावितगुणाश्री आदि ने संयम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयम लेना वीरो का मार्ग है । एक दिन के लिए भी संयम की चर्या का पालन करना साधारण बात नहीं है। जीवन भर के लिए त्याग एवं साधना के मार्ग पर कदम बढ़ाना वीरो का ही काम है। वर्तमान के भौतिकता प्रधान युग में सिर्फ 17 वर्ष की उम्र में संयम के मार्ग पर बढऩे का निर्णय प्रेरक अनुकरणीय एवं अभिनंदनीय है।

लाभार्थियों का अभिनंदन
मुमुक्षु कीर्तन ने संयम को वास्तविक जीवन बताते हुए कहा कि सभी संयम की अनुमोदना अवश्य करें। इस अवसर पर मुनिसुव्रत राजेंद्र जैन संघ अवेन्यू रोड, सीमंधर स्वामी राजेंद्र जैन संघ मामूलपेट, चौराऊ प्रवासी जैन संघ, दियावट सामायिक मंडल एवं कार्यक्रम के लाभार्थी सुमेरमल, कांतिलाल-धर्मचंद, प्रवेशकुमार-रिखबचंद, सुमेरमल-रूपचंद, बाबूलाल-मोहनलाल, कुमारपाल-नैनमल, सुमति बाई-घेवरचंद, माणकचंद ने मुमुक्षु का अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में मुमुक्षु कीर्तन के पिता-माता कैलाशचंद्र व करुणा देवी छत्रगोता का भी अभिनन्दन किया गया। मुमुक्षु कीर्तन छत्रगोता की दीक्षा आचार्य अजीतशेखरसूरिश्वर एवं आचार्य विमलबोधिसूरिश्वर की निश्रा में 27 अप्रेल को हुब्बली में होगी। संचालन ओटमल संघवी ने किया।
जीवन जीने की कला सिखाता है धर्म
बेंगलूरु. जैन स्थानक राजाजीनगर में जयधुरन्धर मुनि ने कहा कि धर्म जीवन जीने की कला सिखाता है। हर इंसान को जीवन प्राप्त है, लेकिन उस जीवन को कैसे जीना, यह कला सीखना जरुरी है। उन्होंने कहा कि जिसे जीवन जीने की कला नहीं मालूम, वह अपने इस दुर्लभ मनुष्य जीवन को व्यर्थ गंवा देता है। एक सभ्य धार्मिक व्यक्ति की यही पहचान है कि वह जीवन सही ढंग से जीता है। उन्होंने कहा कि इंसान का जीवन ऐसा होना चाहिए, जो दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनें।

देव गति में धर्म करना कठिन है
बेंगलूरु. जैनाचार्य विजय रत्नसेन सूरिश्वर सोमवार को ओकलीपुरम से विहार कर हेबाल पहुंचे। वहां धर्मसभा में उन्होंने कहा कि आत्म कल्याण का विचार और आत्म कल्याण की साधना मात्र मनुष्य जीवन में ही संभव है। देव गति में धर्म करना कठिन है क्योंकि वहां पर भोग सुख के साधनों की भरमार है। सुख के समय में धर्म नहीं हो सकता है। साथ ही, सुख के दिन कब पूरे हो जाते हैं, वो पता भी नहीं चलता है। जैनाचार्य आगे विहार करते हुए देवनहल्ली स्थित शत्रुंजय स्थूलभद्र धाम पहुंचेंगे।
साध्वियों ने किया मंगल प्रवेश
मैसूरु. साध्वी दिव्यशा व दिव्यदर्शाश्री का सोमवार शाम को शहर में मंगल प्रवेश हुआ। वे हल्लतगैरी स्थित आयंबिल खाता भवन रुकेंगी।
साध्वीवृंद ऊटी से विहार कर गुंडलपेट, नंजनगुड होती हुई मैसूरु पहुंची। इस मौके पर सुमतिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के ट्रस्टी बाबूलाल मुणोत, नवयुवक मंडल अध्यक्ष प्रवीण लुंकड़, सदस्य सुरेश दीपकला अन्य लोग मौजूद रहे।

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