scriptयक्षगान को नई पहचान दे रही मुस्लिम महिला | Muslim woman giving new identity to Yakshagana | Patrika News

यक्षगान को नई पहचान दे रही मुस्लिम महिला

locationबैंगलोरPublished: Feb 26, 2020 06:15:18 pm

यक्षगान की इस स्टार कलाकार का नाम अर्शिया है। अर्शिया किसी मुस्लिम परिवार की पहली महिला हैं जो कर्नाटक की संस्कृति की इस प्रतिनिधि कला की पहचान बन गई हैं और इसे नई पहचान भी दे रही हैं।

यक्षगान को नई पहचान दे रही मुस्लिम महिला

यक्षगान को नई पहचान दे रही मुस्लिम महिला

बेंगलूरु. कर्नाटक के पारम्परिक लोकनृत्य का कार्यक्रम यक्षगान। मंच पर असुर के रूप में सजी-धजी एक महिला का आगमन होता है। मोहक संगीत की धुनों पर थिरकती महिला की भाव-भंगिमा और कडक़ती आवाज दर्शकों को मोहित कर देती है और तालियां बज उठती हैं।
यक्षगान की इस स्टार कलाकार का नाम अर्शिया है। अर्शिया किसी मुस्लिम परिवार की पहली महिला हैं जो कर्नाटक की संस्कृति की इस प्रतिनिधि कला की पहचान बन गई हैं और इस कला को नई पहचान भी दे रही हैं। दक्षिण कन्नड़ जिले में वि_ल की कलाकार अर्शिया रंगमंच के इस कार्यक्रम में असुरों वाली भूमिका निभाती हैं और छा जाती हैं।
मेंगलूरु के कदली कला केन्द्र में रमेश भट से इस कला की बारीकियां सीख रहीं अर्शिया की वजह से यक्षगान कार्यक्रमों में कलाप्रेमियों की संख्या बढ़ रही है। मंच पर खलनायक की भूमिका ने उन्हें इतना लोकप्रिय बना दिया है कि अब उन्हें मंच पर उनकी भूमिका के नाम से ही तन्नु विट्ठला कहा जाने लगा है।
पडील में एक आटोमोबाइल शोरूम में काम करनेवाली अर्शिया के अनुसार दस साल की उम्र में ही उन्हें अभिनय, नृत्य, संवाद अदायगी आदि से लगाव हो गया। पहला कार्यक्रम स्कूल के वार्षिकोत्सव का था। वहां बजी तालियों की गूंज उन्हें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करती रहीं।
महिषासुर, रक्तबीज, निशम्भसुर सहित रंगमंच पर खलनायक की कई भूमिकाएं निभा चुकीं अर्शिया की राह आसान नहीं रही। मुस्लिम समाज ने यक्षगान के प्रति उनके लगाव का विरोध किया लेकिन परिवार ने समर्थन किया तो उन्होंने पीछे मुडक़र नहीं देखा और अब तो अर्शिया अर्श पर पहुंच चुकी हैं। हालांकि वे कहती हैं कि अभी लम्बा सफर तय करना है। अर्शिया की तमन्ना है कि वे ‘चेन्दा’ बजाएं। ‘चेन्दा’ एक तरह ढोलनुमा वाद्य है जो खड़े होकर दो लकडिय़ों की सहायता से बजाया जाता है। जिसकी टंकार यक्षगान का अभिन्न हिस्सा है।
उडुपी, कारवार व मेंगलूरु जिलों में उनके ढेर सारे प्रशंसक हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

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