आदिचुंचनगिरी मठ के प्रमुख डॉ. निर्मलानंदनाथ स्वामी के पट्टाभिषेक महोत्सव में उन्होंने कहा कि देश में कई मठ हैं जो केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक ही सीमित हैं। लेकिन कर्नाटक के मठों की यह विशेषता है कि यह मठ धार्मिक क्षेत्र के साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण जैसे सामाजिक सरोकार में सक्रिय हैं। कई मठों की ओर से संचालित शालाओं में हजारों विद्यार्थियों को नि:शुल्क आवास तथा भोजन के साथ गुणात्मक शिक्षा मुहैया की जा रही है। प्राकृतिक आपदाओं के दौरान भी इन मठों ने आवासों का निर्माण कर एक अनूठी मिसाल पेश की है।
उन्होंने कहा कि ऐसे मठों की सूची में अग्रणी आदि चुंचनगिरी मठ ने राज्य के विभिन्न जिलों में पूर्व प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली शिक्षा संस्थाएं स्थापित की हैं। राज्य के विभिन्न मठ ऐसा सामाजिक कार्य कर रहे हैं जो किसी सरकार के लिए भी
असंभव है।
उन्होंने कहा कि देश में विज्ञान की शिक्षा को बढ़ावा मिलने के कारण आज हमारा देश विज्ञान क्षेत्र में विश्व में पांचवें स्थान पर पहुंचा है। यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। हमारा देश विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनने के पथ पर अग्रसर है। आदिचुंचनगिरी मठ की ओर से विज्ञान तथा अनुसंधान क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए जो योजनाएं बनी हैं वह सराहनीय है। समारोह में लघु सिंचाई मंत्री सी.एस. पुट्टराजू ने विचार रखे।
विज्ञान क्षेत्र में योगदान देने वाले विज्ञानी डॉ. शरदचंद्र को मठ की ओर से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में योगगुरु बाबा रामदेव, परमात्मानंद सरस्वती, शिवानंद भारती, पुरुषोत्तम स्वामी तथा सांसद शिवराम गौड़ा उपस्थित थे।