यूओएम के कुलपति प्रो. जी. हेमंत कुमार और पूर्व कुलपति प्रो. के. एस. रंगप्पा ने सोमवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में इसकी घोषणा की। शोध टीम के मुखिया प्रो. रंगप्पा ने कहा, ‘यह किट लोरवेन बायोलॉजिक्स प्राइवेट लि. की साझेदारी में तैयार की गई है। किट भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की आपातकालीन स्वीकृति के लिए नई दिल्ली भेज रहे हैं। यह किट सस्ती दामों पर उपलब्ध होने की उम्मीद है क्योंकि इसे एक राज्य विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है।’
प्रो. रंगप्पा ने कहा कि किट की विशेषता यह है कि इसमें एक बारकोड पट्टी है, जो एक ऐप से जुड़ी है। जैसे ही बारकोड को स्कैन किया जाता है, मरीजों की स्वास्थ्य की जानकारी (चाहे कोविड परीक्षण सकारात्मक हो या नकारात्मक) सर्वर में अपडेट हो जाती है। इससे गवर्निंग एजेंसियों को मामलों की तुरंत निगरानी करने में मदद मिलेगी।
10 मिनट में रिपोर्ट
शोध दल के सदस्य व आणविक जीव विज्ञान अध्ययन विभाग के सहायक प्रोफेसर सी. डी. मोहन ने बताया कि किट का उपयोग करके कोविड के लक्षणों वाले व्यक्ति शरीर के तरल पदार्थ जैसे थूक, नाक से स्राव और लार का उपयोग करके संक्रमण का पता लगा सकते हैं। इसमें 10 मिनट से भी कम समय लगता है।
म्यूटेंट वेरिंएट्स को भी पकडऩे में सक्षम!
प्रो. रंगप्पा ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के बावजूद कई बार आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट निगेटिव आती है। इसलिए ऐसा किट बनाने की जरूरत महसूस हुई जो कोरोना वायरस के सभी वेरिएंट्स को पकडऩे में सक्षम हो। उन्हें उम्मीद है कि यह किट म्यूटेंट वेरिंएट्स का पता भी आसानी से लगा लेगी।