इसके अलावा, पशु प्रेमियों, संगठनों, व्यापारियों और जनता से भी वित्तीय सहायता की अपील की है। पशुओं को खिलाने और संभालने के लिए ही महीने में दो करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होता है। कर्मचारियों को मजदूरी नहीं मिल पा रही है वहीं, बिजली, पानी और बिलों के भुगतान के लिए पैसा नहीं है।
पिछली बार जिले के प्रभारी मंत्री ने राशि देकर बहुत मदद की थी। यदि लोगों ने सहयोग नहीं किया तो चिडिय़ाघरों का रखरखाव एक बड़ी समस्या होगी। करदाताओं को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। पिछली बार की तरह लोगों के सहयोग की जरूरत है। जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसमें कॉरपोरेट घरानों और आम जनता से अधिक सहयोग की जरूरत है।
कर्नाटक चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव बीपी रवि ने कहा कि मैसूरु, बन्नेरघट्टा, शिवमोग्गा, बेलगावी, हम्पी, गदग, कलबुर्गी, चित्रदुर्ग और दावणगेरे के चिडिय़ाघरों के रखरखाव पर 5.5 करोड़ रुपए मासिक खर्च आता है। इसमें पशुओं का आहार और कर्मचारियों का वेतन शामिल है।
पिछली बार जिले के प्रभारी मंत्री ने राशि देकर बहुत मदद की थी। यदि लोगों ने सहयोग नहीं किया तो चिडिय़ाघरों का रखरखाव एक बड़ी समस्या होगी। करदाताओं को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। पिछली बार की तरह लोगों के सहयोग की जरूरत है। जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसमें कॉरपोरेट घरानों और आम जनता से अधिक सहयोग की जरूरत है।
कर्नाटक चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव बीपी रवि ने कहा कि मैसूरु, बन्नेरघट्टा, शिवमोग्गा, बेलगावी, हम्पी, गदग, कलबुर्गी, चित्रदुर्ग और दावणगेरे के चिडिय़ाघरों के रखरखाव पर 5.5 करोड़ रुपए मासिक खर्च आता है। इसमें पशुओं का आहार और कर्मचारियों का वेतन शामिल है।