बैंगलोर

कोरोना से वित्तीय संकट में घिरा मैसूरु चिडिय़ाघर

चिडिय़ाघर प्राधिकरण ने मांगी सरकार से मदद, आम जनता से भी अपील

बैंगलोरMay 10, 2021 / 05:20 am

Sanjay Kulkarni

कोरोना से वित्तीय संकट में घिरा मैसूरु चिडिय़ाघर

बेंगलूरु. कोरोना महामारी की पहली लहर के दौरान ही वित्तीय संकट में डूबे मैसूरु चिडिय़ाघर (जू) के हालात दूसरी लहर में और बदतर हो गए हैं। चिडिय़ाघर प्राधिकरण (जू ऑथरिटी) ने अब ने पशुओं की आहार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए राज्य सरकार से संपर्क किया है और वित्तीय सहायता की गुहार लगाई है। सैलानियों के नहीं आने के कारण चिडिय़ाघर की आमदनी भी घटी है।
जू ऑथरिटी के अध्यक्ष महादेवस्वामी ने शनिवार को कहा कि अब पशुओं की आहार संबंधी आवश्यकताएं पूरी करना बहुत मुश्किल हो रहा है। प्रबंधन पहली लहर के दौरान हुए वित्तीय नुकसान से अभी तक उबर नहीं पाया है। अब फिर से चिडिय़ाघर बंद हो गया है और कोरोना की दूसरी लहर का व्यापक असर हो रहा है। इस संबंध में सरकार से अपील की है।
इसके अलावा, पशु प्रेमियों, संगठनों, व्यापारियों और जनता से भी वित्तीय सहायता की अपील की है। पशुओं को खिलाने और संभालने के लिए ही महीने में दो करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होता है। कर्मचारियों को मजदूरी नहीं मिल पा रही है वहीं, बिजली, पानी और बिलों के भुगतान के लिए पैसा नहीं है।
पिछली बार जिले के प्रभारी मंत्री ने राशि देकर बहुत मदद की थी। यदि लोगों ने सहयोग नहीं किया तो चिडिय़ाघरों का रखरखाव एक बड़ी समस्या होगी। करदाताओं को भी आगे आकर सहयोग करना चाहिए। पिछली बार की तरह लोगों के सहयोग की जरूरत है। जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसमें कॉरपोरेट घरानों और आम जनता से अधिक सहयोग की जरूरत है।
कर्नाटक चिडिय़ाघर प्राधिकरण के सदस्य सचिव बीपी रवि ने कहा कि मैसूरु, बन्नेरघट्टा, शिवमोग्गा, बेलगावी, हम्पी, गदग, कलबुर्गी, चित्रदुर्ग और दावणगेरे के चिडिय़ाघरों के रखरखाव पर 5.5 करोड़ रुपए मासिक खर्च आता है। इसमें पशुओं का आहार और कर्मचारियों का वेतन शामिल है।
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