Mysuru Dussehra: इतिहास, संस्कृति और परंपरा का मिश्रण है मैसूरु दशहरा महोत्सव
बैंगलोरPublished: Oct 15, 2023 02:32:32 pm
- सदियों से चली आ रही प्रथाएं आज भी हैं जीवंत
मैसूरु. मुंडक उपनिषद का मूल मंत्र सत्यमेव जयते भारतीय संस्कृति का प्राण है और यही सारे रीति-रिवाजों, परम्पराओं, उत्सवों को अनुप्राणित करता है। दशहरा पर्व इसी संस्कृति का चरमोत्कर्ष है। असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है दशहरा। बात मैसूरु दशहरा की हो तो यह अपने अनूठे अंदाज के कारण और भी खास हो जाता है क्योंकि यहां बुराई का प्रतीक रावण नहीं, बल्कि महिषासुर है, जिसका वध मां दुर्गा ने किया था। मैसूरु का दशहरा देश के अन्य हिस्सों में मनाए जाने वाले दशहरा से एक और कारण से अलग है। देश के कई हिस्सों में दशहरा केवल एक दिन के लिए मनाया जाता है लेकिन मैसूर में यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है। मैसूरु दशहरा महोत्सव इतिहास, संस्कृति और परंपरा का मिश्रण है।