कपट करने वाला पाता है दुख
बेंगलूरु. श्रीरामपुरम जैन स्थानक में साध्वी दिव्यज्योति ने कहा कि जो व्यक्ति माया व कपट करता है, वह संसार में बार-बार जन्मता है। दुखों का सामना करता है। जहां भी जन्म लेता है वहां दुख, विपत्ति, भय, पीड़ा उसका पीछा करती है। शास्त्र में बताया है कि माया कपट व्यवहार में तो क्या, धर्म साधना, भगवान की पूजा अर्चना और सत्कार्य करने में भी नहीं करना चाहिए। धर्म के क्षेत्र में भी यदि कोई सूक्ष्म माया करता है, थोड़ा सा कपट करता है तो वह भी बड़ा अनर्थकारी व दुखदायी होता है। आज संसार में मायाचार बढ़ रहा है। हर कोई दुरंगा है। कपट से आप अपना काम तो बना सकते हैं, परंतु किसी को अपना नहीं बना सकते। साध्वी अमितसुधा ने कहा कि आज हर व्यक्ति की क्रिया, आचरण, व्यवहार अलग अलग है।
जीवन को सुंदरवन बनाएं
नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर में संत अभिनंदनचंद्र सागर ने कहा कि स्वस्थ रहो। यह जीवन दिन ब दिन जल की भांति बहता रहता है।
उन्होंने कहा कि जीवन को सुंदरवन बनाना है तो स्वस्थ चित्त से रहो। संसार है वह जो स्वार्थ से भरा है। जहां आपको विश्वासघात विकट स्थितियों में से भी गुजरना पड़ता है, पर हिम्मत न हारो।
नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मंदिर में संत अभिनंदनचंद्र सागर ने कहा कि स्वस्थ रहो। यह जीवन दिन ब दिन जल की भांति बहता रहता है।
उन्होंने कहा कि जीवन को सुंदरवन बनाना है तो स्वस्थ चित्त से रहो। संसार है वह जो स्वार्थ से भरा है। जहां आपको विश्वासघात विकट स्थितियों में से भी गुजरना पड़ता है, पर हिम्मत न हारो।