ऐसे कार्यक्रम के बाद ही तत्कालीन सरकार ने सुवर्ण ग्राम विकास योजना की घोषणा की थी। आज सुवर्ण ग्राम योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई है। इस योजना में शामिल कई गांव मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं। कुमारस्वामी की सरकार के बाद दूसरी सरकारों ने योजना पर ध्यान नहीं दिया।
तब रात्रि विश्राम कार्यक्रम में उत्तर कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक तथा चामराजनगर के सीमावर्ती गांवों में मुख्यमंत्री ने प्रवास किया। स्थानीय जिला प्रशासन को गांव के लिए सभी सुविधाएं मुहैया करने के लिए निर्देशित किया था।
तब रात्रि विश्राम कार्यक्रम में उत्तर कर्नाटक, हैदराबाद कर्नाटक तथा चामराजनगर के सीमावर्ती गांवों में मुख्यमंत्री ने प्रवास किया। स्थानीय जिला प्रशासन को गांव के लिए सभी सुविधाएं मुहैया करने के लिए निर्देशित किया था।
कुमार ने 5 अगस्त को डाला था नागनूर में डेरा
नागनूर गांव में कुमारस्वामी ने 5 अगस्त वर्ष 2006 में रात्रि विश्राम किया था। गांव वासियों को पेयजल, सामुदायिक शौचालय, संपर्क सड़क तथा स्थानीय स्कूल के भवन का उन्नयन जैसे कई वादे किए थे। आज 13 वर्षों के बाद भी इस गांव को घोषित सुविधाएं नहीं मिली हैं। ग्रामीणों के अनुसार जब मुख्यमंत्री गांव में ठहरे थे तब जिला प्रशासन से आनन-फानन में यहां कुछ अस्थायी सुविधाएं मुहैया की थीं, जैसे ही मुख्यमंत्री रवाना हुए वैसे ही सुविधाएं भी गुम हो गईं। कृष्णा नदी के तट पर स्थित गांव को कुमारस्वामी ने सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर नए गांव में सुवर्ण ग्रामोदय योजना के अंतर्गत सभी सुविधाओं का वादा किया था। जब भी कृष्णा नदी में बाढ़ आती है तब इस गांव का अधिकतर हिस्सा बाढ़ के पानी में डूब जाता है।
नागनूर गांव में कुमारस्वामी ने 5 अगस्त वर्ष 2006 में रात्रि विश्राम किया था। गांव वासियों को पेयजल, सामुदायिक शौचालय, संपर्क सड़क तथा स्थानीय स्कूल के भवन का उन्नयन जैसे कई वादे किए थे। आज 13 वर्षों के बाद भी इस गांव को घोषित सुविधाएं नहीं मिली हैं। ग्रामीणों के अनुसार जब मुख्यमंत्री गांव में ठहरे थे तब जिला प्रशासन से आनन-फानन में यहां कुछ अस्थायी सुविधाएं मुहैया की थीं, जैसे ही मुख्यमंत्री रवाना हुए वैसे ही सुविधाएं भी गुम हो गईं। कृष्णा नदी के तट पर स्थित गांव को कुमारस्वामी ने सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर नए गांव में सुवर्ण ग्रामोदय योजना के अंतर्गत सभी सुविधाओं का वादा किया था। जब भी कृष्णा नदी में बाढ़ आती है तब इस गांव का अधिकतर हिस्सा बाढ़ के पानी में डूब जाता है।
क्या कहते हैं सरपंच
वर्ष 2005, 2006 तथा वर्ष 2007 में गांव के चारों ओर बाढ़ का पानी जमा हो गया था। तब इस क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करने पहुंचे कुमारस्वामी ने इस गांव में रात्रि विश्राम कार्यक्रम की घोषणा की थी। नागनूर गांव के सरपंच अण्णप्पा सवदी के मुताबिक जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने बाद में गांव का दौरा नहीं किया है। गांव को बाढ़ से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने योजना भी अधर में अटकी है। गांव में न बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही इसे अन्यत्र बसाया जा रहा है। गांव वाले दुविधा में हैं। यहां के किसानों के पास अच्छी फसल पैदावार करने वाली कृषि भूमि होने के कारण अधिकतर निवासी अन्यत्र जाने का विरोध करते रहे हैं।
वर्ष 2005, 2006 तथा वर्ष 2007 में गांव के चारों ओर बाढ़ का पानी जमा हो गया था। तब इस क्षेत्र का हवाई सर्वेक्षण करने पहुंचे कुमारस्वामी ने इस गांव में रात्रि विश्राम कार्यक्रम की घोषणा की थी। नागनूर गांव के सरपंच अण्णप्पा सवदी के मुताबिक जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने बाद में गांव का दौरा नहीं किया है। गांव को बाढ़ से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने योजना भी अधर में अटकी है। गांव में न बुनियादी सुविधाएं हैं और न ही इसे अन्यत्र बसाया जा रहा है। गांव वाले दुविधा में हैं। यहां के किसानों के पास अच्छी फसल पैदावार करने वाली कृषि भूमि होने के कारण अधिकतर निवासी अन्यत्र जाने का विरोध करते रहे हैं।