एनएएल ने यहां शुक्रवार को कहा कि यह स्वदेशी विमान पायलटों के निजी और वाणिज्यिक प्रशिक्षण के काम आएगा। इसके विकास से ऐसे विमानों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। इस करार को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने मंजूरी प्रदान की है जिसके अधीन एनएएल परिचालित होता है। एनएएल ने दावा किया है कि यह विमान अगले 11 से 13 महीने के भीतर पहली उड़ान के लिए तैयार होगा जबकि वर्ष 2020 तक वाणिज्यिक उड़ानों के लिए इसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से प्रमाण पत्र मिल जाएगा।
प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद मेस्को एयरोस्पेस लाइसेंस समझौते के तहत हंसा-एनजी विमानों का उत्पादन करेगा। इसके अलावा मेस्को ही इन विमानों के लिए सर्विस सेंटर की स्थापना करेगा और भारत तथा विदेशों में उसकी मार्केटिंग करेगा। हालिया मार्केट रिपोर्ट के मुताबिक देश में ऐसे दो सीटर विमानों की आवश्यकता 70 से 80 के बीच है।
इन विमानों के बेसिक संस्करण की कीमत लगभग 80 लाख रुपए होगी जबकि पूरी तरह तैयार आधुनिक संस्करण लगभग एक करोड़ रुपए का होगा। ये विमान एयरफील्ड पर पक्षियों की टोह लेने, कैडेट प्रशिक्षण, तटीय निगरानी और शौकिया उड़ानों के लिए भी उपयोगी होंगे। एनएएल ने वर्ष 2001 से 2010 के बीच कुल 14 दो-सीटर हंसा-3 विमान तैयार किए जिसमें से 11 डीजीसीए को सौंप दिए गए।
एक विमान आईआईटी खडग़पुर और दो विमान सीएसआईआर-एनएएल के पास थे। एनएएल ने इनमें से एक विमान पिछले एयरो इंडिया (2017) के दौरान मेस्को एयरोस्पेस लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिए। जिन पायलटों ने भी हंसा-3 विमान में उड़ान भरी उसने इसकी प्रशंसा की।
खासतौर पर इसके एयरो-डायनामिक्स, ताकत और नियंत्रण क्षमता को हर पायलट ने सराहा। इस विमान को और बेहतर व उपयोगी बनाने के लिए उन्नयन/सुधार के साथ अत्याधुनिक तकनीकों से सुसज्जित करने के सलाह भी आए। अब सीएसआइआर-एनएएल मेस्को एयरोस्पेस के साथ मिलकर हंसा-3 विमानों को अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित करेंगे और हंसा-एनजी (न्यू जेनरेशन) विमानों का उत्पादन करेंगे।