बैंगलोर

अब प्लास्टिक बोतल में मिलेगा ‘नंदिनी’ दूध

कर्नाटक सहकारिता दुग्ध उत्पादक संघ (केएमएफ) ने ‘नंदिनी’ दूध को अब प्लास्टिक पाउच के बदले प्लास्टिक पीइटी बोतलों में भरकर बेचने को निर्णय किया है।

बैंगलोरMar 25, 2019 / 01:05 am

शंकर शर्मा

अब प्लास्टिक बोतल में मिलेगा ‘नंदिनी’ दूध

बेंगलूरु. कर्नाटक सहकारिता दुग्ध उत्पादक संघ (केएमएफ) ने ‘नंदिनी’ दूध को अब प्लास्टिक पाउच के बदले प्लास्टिक पीइटी बोतलों में भरकर बेचने को निर्णय किया है। केएमएफ की इस घोषणा ने पर्यावरणविदों को जोरदार झटका दिया है, जो प्लास्टिक को पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा मानते हुए केएमएफ से प्लास्टिक के बदले अन्य वैकल्पिक पैकेजिंग सामग्री का इस्तेमाल करने की मांग लंबे अरसे से करते आ रहे हैं।

केएमएफ के विपणन निदेशक एमटी कुलकर्णी के अनुसार केएमएफ ने निकट भविष्य में पीइटी बोतलों में अपने सभी डेयरी उत्पादों को पैकेज करने की योजना बनाई है। वर्तमान में, फेडरेशन प्लास्टिक पाउच के माध्यम से हर दिन 38 लाख लीटर दूध बेचता है। पीइटी बोतलों के निर्माण के लिए हासन में एक नई विनिर्माण इकाई स्थापित होगी जिसकी दैनिक उत्पादन क्षमता ५ लाख होगी।


यह संयंत्र जुलाई या अगस्त में चालू होगा। उसके बाद चरणबद्ध तरीके से प्लास्टिक पाउच के बदले सभी उत्पादों को पीइटी बोतलों में पैक किया जाएगा। पीइटी बोतलें पॉलीथिलीन टेरेफ्थेलेट से मिश्रित उत्पाद होगा, जो एक खाद्य ग्रेड प्लास्टिक होगा और इसमें खाद्यान्न सामग्री को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। साथ ही प्लास्टिक पाउच की तुलना में इसका पुनर्चक्रीकरण भी सरल है। कुलकर्णी ने कहा है कि भविष्य में हम पुनर्चक्रण इकाई स्थापित करने की योजना बना सकते हैं।


हालांकि केएमएफ ने फिलहाल सिर्फ पीइटी बोतलों पैकिंग की योजना बनाई है। उपयोग के बाद खाली बोतलों के संग्रहण और पुनर्चक्रण को लेकर केएमएफ की कोई स्पष्ट योजना नहीं होने के कारण पीइटी बोतलें बाद में सिर्फ कचरे का ढेर बनेंगी। पर्यावरणविदों का कहना है कि प्लास्टिक पाउच की तुलना में पीइटी बोतलों का उपयोग स्वागत योग्य है, लेकिन बोतलों का कचरे का ढेर में बदल जाना अंतत: पर्यावरण को ही नुकसान पहुंचाएगा। मौजूदा समय में भी नंदिनी दूध पाउच सबसे ज्यादा कचरा जनित का कारण है।


टेट्रापैक है पर्यावरण के अनुकूल
पर्यावरणविदों का मानना है कि डेयरी और खाद्यान उत्पादों की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक पाउच या बोतलों के बदले टेट्रापैक का इस्तेमाल पर्यावरण अनुकूल होगा। टेट्रापैक में कागज की अधिकता होती है, जिससे यह पुनर्चक्रण में ज्यादा कारगर और पर्यावरण के लिए कम नुकसानदेह साबित होता है। केएमएफ को भी पीइटी बोतलों के बदले टेट्रापैक को तरजीह देना चाहिए।

प्रभावी संग्रहण और पुनर्चक्रण की जरूरत
दुनिया के कई शहरों में दूध या डेयरी उत्पादों की दैनिक आपूर्ति पीइटी बोतलों में होती है, उन शहरों में इस्तेमाल के बाद खाली बोतलों को कचरा में नहीं फेंका जाता है। जानकारों का मानना है कि अगर केएमएफ भी खाली बोतलों का नियमित संग्रहण सुनिश्चित करे तो उसे पुनर्चक्रित कर दोबारा उपयोग किया जा सकता है। इससे एक ओर बोतलों का बेहतर इस्तेमाल होगा तो दूसरी ओर बेंगलूरु जैसे शहर में सैकड़ों टन प्लास्टिक कचरा स्वत: समाप्त हो जाएगा।

Home / Bangalore / अब प्लास्टिक बोतल में मिलेगा ‘नंदिनी’ दूध

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.