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‘नानी बाई रो मायरो’ कथा सुन छलके आंसू

locationबैंगलोरPublished: Jun 09, 2018 07:30:35 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

जया किशोरी ने नानी बाई के ससुराल में नरसीजी के आगमन और दोनों पिता-पुत्री के बीच संवाद का भावपूर्ण वर्णन किया

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‘नानी बाई रो मायरो’ कथा सुन छलके आंसू

बेंगलूरु. माहेश्वरी महिला मंडल की ओर से ओकलीपुरम स्थित माहेश्वरी भवन में आयोजित तीन दिवसीय ‘नानी बाई रो मायरोÓ कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को नरसीजी के नानीबाई के ससुराल में आगमन व पिता-पुत्री के संवाद का प्रसंग सुन श्रोता भक्त भक्तिभाव में डूब गए।
आरती के साथ शुरू हुई कथा में व्यासपीठ से जया किशोरी ने नानी बाई के ससुराल में नरसीजी के आगमन और दोनों पिता-पुत्री के बीच संवाद का भावपूर्ण वर्णन किया।
प्रसंग सुन प्रेम भाव में डूबे उपस्थित भक्तों की आंखें नम हो गईं और छलक पड़ी। वहीं सांवरिया के आगमन से सभी के चेहरों पर मुस्कान छा गई। भक्त की लाज बचाने स्वयं ठाकुरजी 56 करोड़ का मायरा भरने आए। इस दौरान ‘जब जब ये दिल हारा, घनश्याम ने हमेशा दिया सहारा…Ó की संगीतमय प्रस्तुति पर भक्त झूम उठे। राधा, रुक्मणी और कृष्ण के पात्रों के संग महिला मंडल की सदस्याओं व सभा के सदस्यों ने सुंदर मायरा सजाया। कथा के प्रारंभ में सुनीता लाहोटी ने आए सभी भक्तों का स्वागत किया।
माहेश्वरी फाउण्डेशन के चेयरमेन गौरीशंकर सारड़ा, माहेश्वरी साउथ सोसायटी के चेयरमैन नंदकिशोर मालू, मंडल की सलाहकार सावित्री मालू, पुष्पा सारड़ा, सुशीला राठी ने दुपट्टा व पुष्पमाला पहनाकर जया किशोरी का स्वागत सम्मान किया। कथा में बड़ी संख्या में भक्तों ने आनंद लिया। मणिशंकर ओझा, हरीराम सारस्वत, मुरली सर्राफ, रामविलास पंचारिया आदि गणमान्यजन मौजूद रहे।
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मानव का उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति
मंड्या. सुमतिनाथ जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के तत्वावधान में आराधना भवन में शुक्रवार को आचार्य विजय रत्नसेन सूरीश्वर ने प्रवचन में कहा कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य मोक्ष की प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि मोक्ष मार्ग को अपनाने के लिए मनुष्य को जीवन में शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करने के साथ जप-तप व भक्ति में ध्यान लगाना चाहिए। मनुष्य को भौतिक सुख का त्याग कर अपनी आत्म जीवन का कल्याण के बारे में सोचना चाहिए। जबसे मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति का लक्ष्य को भूला है, तब से संसार की अनेक दुविधाओं में उलझा है। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का निवास होता है। स्वस्थ मन रहेगा तो मन में अच्छे विचार आएंगे। संतों का 13 जून को तुबिनकेरे की ओर विहार होगा।
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