वर्ष 2021 में छोड़ा जाएगा नासा-इसरो का संयुक्त उपग्रह, धरती की अभूतपूर्व तस्वीरें उतारने में होगा सक्षम
बेंगलूरु.धरती पर पैनी निगाह रखने के लिए भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो और अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी
नासा द्वारा विकसित किए जा रहे उन्नत सिंथेटिक अपर्चर राडार (निसार) उपग्रह के लिए विशाल जालीदार एंटीना की डिजाइनिंग समीक्षा पूरी कर ली गई है। विश्व की बड़ी रक्षा कंपनियों में से एक जर्मनी की नॉर्थरॉप गू्रमैन इस महत्वपूर्ण राडार एंटीना प्रणाली को तैयार कर रही है।
इसरो के उच्च पदस्थ अधिकारियों के मुताबिक परियोजना प्रगति पर है। इस उपग्रह के विशाल जालीदार एंटीना को तैयार करना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन अब क्रिटिकल डिजाइनिंग रिव्यू (सीडीआर) पूरी कर ली गई है। इसरो और नासा दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से इस परियोजना पर
काम कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक संयुक्त साझेदारी में विकसित किए जा रहे विश्व के सबसे महंगे उपग्रह का प्रमुख पे-लोड एल-बैंड (24 सेंटीमीटर वेबलेंथ) पोलरिमीट्रिक सिंथेटिक अपर्चर राडार (एसएआर) है जिसका विकास नासा कर रहा है जबकि एस-बैंड (12 सेंटीमीटर वेबलेंथ) पोलरिमीट्रिक सिंथेटिक अपर्चर राडार का निर्माण इसरो कर रहा है। इस उपग्रह पर एक 12 मीटर का विशाल जालीदार एंटीना लगाया जाएगा जिसकी आपूर्ति नॉर्थरॉप गू्रमैन की अनुषंगी कंपनी एस्ट्रो एयरोस्पेस को करना है। इसरो उपग्रह अनुप्रयोग केंद्र ने इस परियोजना में ‘सी बैंड’ राडार इमेजिंग प्रणाली का विकास कर रहा है साथ ही माइक्रोवेव और ऑप्टिकल सेंसर भी तैयार कर रहा है। भविष्य में ये उपकरण बेहद अहम भूमिका निभाएंगे।अधिकारियों के मुताबिक इस एंटीना के विकास के लिए डिजाइनिंग रिव्यू पूरी हो चुकी है। अंतरिक्ष में ऑपरेशनल होने के बाद यह उपग्रह अपने उन्नत राडार इमेजिंग प्रणाली का उपयोग करते हुए पूरी धरती की अभूतपूर्व तस्वीरें उतारेगा। यह धरती की सतह पर आई विकृतियों, समुद्र के किनारों और सागर की गहराई के बारे में भी अद्वितीय जानकारियां उपलब्ध कराएगा। आपदा प्रबंधन के दृष्टिकोण से इससे मिलने वाली जानकारियां काफी अहम साबित होंगी। दोनों अंतरिक्ष एजेंसियों के बीच निसार परियोजना पर हुए करार के तहत इस उपग्रह का प्रक्षेपण वर्ष 2021 में किया जाएगा।