भारतीय भाषाओं को बचाना हर नागरिक का फर्ज
हिन्दी एवं भारतीय भाषाओं पर राष्ट्रीय सम्मेलन
भारतीय भाषाओं को बचाना हर नागरिक का फर्ज
बेंगलूरु. मौजूदा दौर में हिन्दी सहित भारतीय भाषाओं को संरक्षित और संवर्धित करना आम नागरिक का कर्तव्य है। यह बात बेंगलूर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (बीआईएमएस) महाविद्यालय में भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की स्थिति एवं गति विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला में केरल के शंकरा विद्यापीठ कॉलेज की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.आर.पूर्णिमा ने बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि भूंमडलीकरण के दौर में हिंदी भाषा के रूप परिवर्तन के कई कारण हैं। उसमें बाजारवाद का आगमन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों का निवेश, मीडिया एवं अखबार की भाषा में तब्दीली, जीवनमूल्यों के स्थान पर आर्थिक मूल्यों में परिवर्तन आदि कारक शामिल हैं।
भूंमडलीकरण को समझते हुए हमें भारतीय भाषाओं के महत्व को समझना होगा। दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही अंग्रेजी भाषा के साथ-साथ भारतीय भाषाओं को बचाना हर नागरिक का फर्ज है। अध्यक्षता कर रहे बेंगलूरु विश्वविद्यालय के कन्नड़ विभाग के प्रो. नागभूषण, विशिष्ट अतिथि राजस्थान पत्रिका के स्थानीय स्थानीय सम्पादक राजेन्द्र शेखर व्यास और बीआईएमएस महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ के.एम. नागेंद्र ने भी भारतीय भाषाओं को बचाने की सलाह दी। डॉ. सुवर्णा ने सम्मेलन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला। सलाहकार के रूप मे डॉ. शब्बीर और डॉ. एम. अब्दुल रजाक रहे।
कार्यशाला में विविध महाविद्यालयों के सहायक प्राध्यापकों ने पत्रवाचन किया। संयोजन डॉ. मंजु भार्गवी ने किया। छात्र संयोजक के रूप में मोहम्मद नातिक, मोहम्मद इरफान और अख्तर रजा रहे।
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