इसके बावजूद इंसान ने कोई सबक नहीं सीखा। पर्यावरण की रक्षा नहीं करने पर किन संंकटों का सामना करना पड़ेगा, यह जानने के कहीं जाने की जरूरत नहीं बल्कि करीबी कोडग़ू और केरल को देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बांस की मांग बढ़ रही है लेकिन उसके अनुसार आपूर्ति और उत्पादन नहीं हो रहा है। बांस का उत्पादन बढ़ाने के लिए वन और बागवानी विभाग के सहयोग की जरूरत है। किसान विभिन्न संकटों का सामना कर रहे है। अगर किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करनी है तो कृषि के साथ बांस और बागवानी उत्पादों के उत्पादन की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देश में बांस के १५०० से अधिक उत्पाद बनाते हैं। बांस के बारे में किसानों को कम जानकारी है। वन और बागवानी विभागों को मिल कर किसानों को जानकारी देने का कार्यक्रम बनाना होगौ। बांस केवल जंगल में ही नहीं उगता बल्कि इसका खेतों में भी उत्पादन किया जा सकता है।
इस अवसर पर प्रमुख मुख्य वन संरक्षण अधिकारी और वन कार्य बल के प्रमुख पी श्रीधर ने कहा कि प्रदेश में लगभग १५,७६६ हेक्टेयर वन क्षेत्र में और ५८८ हेक्टर अन्य क्षेत्रों में बांंस का उत्पादन किया जा रहा है। बांस के पौधे लगाने के लिए ४७.४९ करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। बांस का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय बांस मिशन शुरू किया है। हर जिले में बांस विकास समिति गठित कर जिला स्तर पर कृषि विभाग के जरिए बांस उत्पादन पर सब्सिडी देने की योजना भी है।
प्रमुख मुख्य वन संरक्षाणाधिकारी सी.जयराम, पार्षद सुमंगला, विधान परिषद के सदस्य ए.देवेगौड़ा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।