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नवकार मंत्र साधना से कार्य सहजता से होते हैं-डॉ. पद्दमकीर्ति

locationबैंगलोरPublished: Oct 29, 2020 06:06:57 pm

Submitted by:

Yogesh Sharma

गुरुवार के अनुष्ठान में उमड़े श्रद्धालु

नवकार मंत्र साधना से कार्य सहजता से होते हैं-डॉ. पद्दमकीर्ति

नवकार मंत्र साधना से कार्य सहजता से होते हैं-डॉ. पद्दमकीर्ति

बेंगलूरु. श्रीरंगपट्टण के दिवाकर गुरु मिश्री राज दरबार में साध्वी डॉ. कुमुदलता के सान्निध्य में गुरुवार को आत्मरक्षा मंत्र अनुष्ठान गुरु भक्त वर्षावास समिति द्वारा कराया गया। साध्वी डॉ.महाप्रज्ञा ने गीतिका प्रस्तुत की। श्रीपाल मैना सुंदरी एवं नवपद कीआराधना के माध्यम से साध्वी डॉ. पद्मकीर्ति ने कहा इस चरित्र में श्रीपाल की हर सांस में नवपद का ध्यान था। उसी तरह आज के आराधक के मन में श्रद्धा और आस्था के साथ नवकार मंत्र साधना की तो व्यक्ति अपने जीवन में हर कार्य सहजता के साथ सिद्ध कर सकता है। प्रथम श्वेत गोले पर ध्यान दीजिए-णमो अरिहंताणं पद का ध्यान पूर्णिमा के चन्द्र की भांति श्वेत रंग पर कीजिए। श्वेत रंग का ध्यान करने से मन को शान्ति मिलती है। विकार शुद्धि होती है। शरीर मे श्वेत रंग की कमी से अनेक रोग होते हैं। श्वेत किरण पवित्रता और एकाग्रता को बढ़ाती है। 10 मिनट तक श्वेत रंग णमो अरिहंताणं का ध्यान करने से शान्ति अनुभव होगी। दूसरा गोला-बाल सूर्य जैसा लाल है। पूर्व दिशा मे उदय बाल सूर्य के लाल रंग पर णमों सिद्धाणं पद का ध्यान कीजिए। लाल रंग पिच्युटरी ग्लेण्ड और उसके स्रावों को नियंत्रण करने मे सहायक है। लाल रंग स्फूर्ति, जागृति, उत्साह, उल्लास है। अंतर दृष्टि को विकसित करता है। तीसरा गोला- सोने जैसा पीला है। णमो आयरियाणं पद का ध्यान स्वर्ण जैसे पीले रंग पर करने से ओज, तेज, प्रभाव की वृद्धि होती है। पीला रंग ज्ञान शक्ति को विकसित करता है। शरीर की दुर्बलता दूर करता है। चौथा गोला-काले रंग का है। णमो लोए सव्व साहूणं पद का ध्यान काले रंग पर एकाग्र होकर कीजिए। काला रंग बाहरी दुर्भावों और रोगों का अवरोधक है। इससे शरीर की प्रतिकार शक्ति और सहिष्णुता बढ़ती है। ध्यान विधि-इन गोलों पर पहले कुछ क्षण अपनी दृष्टि स्थिर कीजिए। सहजता से जितनी देर रंग को देख सके, अपलक देखते-देखते धीरे से आंखें बंद कर लीजिए। उसी रंग का प्रतिबिंब आपकी आंखों मे बस जाएगा। तब णमोकार मंत्र के अक्षर भी उसी रंग मे दीखने लगेंगे। आचार्य मांगतुंग सूरी ने कहा है-ससि छवला अरिहंता, रत्ता सिद्धा य सूरिणो कणया। मरगयभा उवज्झाया, सामा साहू सुहं दित्तुं।।
चन्द्रमा के सामने धवल अरिहंत, लाल सिद्ध, स्वर्ण के समान आचार्य, मरकल (नील) मणि के समान उपाध्याय और श्याम वर्ण साधु, मुझे सदा सुख दें। समिति के कार्याध्यक्ष मानमल दरला ने बताया कि गुरुवार को अनुष्ठान में दक्षिण भारत के कई शहरों के श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
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