महल के दमकते माहौल में सादगी के साथ विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम हुए और नवरात्र महोत्सव का समापन हो गया। कोरोना के साए में शाही परिवार ने अपनी सदियों पुरानी परम्परा का निर्वाह करते हुए बेहद सादगी से विजयदशमी मनाया। इस अवसर पर शाही अंदाज में विजय जुलूस निकाला गया और महल परिसर स्थित भुवनेश्वरी देवी मंदिर में शम्मी पूजा हुई।
रजत रथ में सवार हुए वाडियार
शाही परिवार के यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार हाथ में तलवार लेकर रजत रथ में सवार हुए और एक जुलूस के साथ मंदिर पहुंचे। शाही तलवार लेकर वाडियार मंदिर पहुंचे और शम्मी वृक्ष की पूजा की। शाही परिवार ने केवल कुछ रिश्तेदारों व मित्रजनों की उपस्थिति में सारे धार्मिक कार्यक्रम पूरे किए।
वाडियार को 1609 में मिला स्वर्ण सिंहासन
शाही परिवार के यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार हाथ में तलवार लेकर रजत रथ में सवार हुए और एक जुलूस के साथ मंदिर पहुंचे। शाही तलवार लेकर वाडियार मंदिर पहुंचे और शम्मी वृक्ष की पूजा की। शाही परिवार ने केवल कुछ रिश्तेदारों व मित्रजनों की उपस्थिति में सारे धार्मिक कार्यक्रम पूरे किए।
वाडियार को 1609 में मिला स्वर्ण सिंहासन
इस अवसर पर राजा वाडियार को 1609 में मिला स्वर्ण सिंहासन वहां मौजूद लोगों की आंखों को चौंधियाता रहा। लगभग चार सौ साल पहले शाही परिवार का अभिन्न हिस्सा बने सिंहासन की चमक-दमक को जैसे वक्त का गुबार छू भी नहीं पाया हो। इसकी चमक वक्त के असर अछूती नजर आती रही।
महल में इस बार लोगों की कमी जरूर खल रही थी। कोरोना संक्रमण से संबंधित कड़े दिशा-निर्देशों के कारण पिछले वर्षों की तुलना में इस बार लोगों की संख्या बेहद कम थी।