भारत को चीन से निपटने के लिए आक्रामक नहीं बल्कि शांतिपूर्ण रास्ता तलाश करना चाहिए
बेंगलूरु. कांग्रेसअध्यक्ष राहुल ने मंगलवार को कहा कि संघ परिवार के हर के सरकारी विभाग और संस्थान में अपने लोगों को बैठाने की कोशिश के कारण देश की विदेश नीति की भी दुर्गति हुई है।
चार दिवसीय जन आशीर्वाद यात्रा के अंतिम दिन कलबुर्गी में व्यापारियों और पेशेवरों से संवाद के दौरान राहुल ने कहा कि सरकार पाकिस्तान के बारे में डराती रहती है पर हकीकत में ज्यादा बड़ा खतरा चीन है। चीन के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करते हुए राहुल ने कहा कि एक देश की विदेश नीति का सबसे जरूरी हिस्सा दूसरों के साथ अच्छे संबंध रखना होता है।
राहुल ने कहा कि भारत को चीन से निपटने के लिए आक्रामक नहीं बल्कि शांतिपूर्ण रास्ता तलाश करना चाहिए। चीन से मुकाबले के लिए हमें एक रास्ता ढूंढना होगा। आक्रामक या सैनिक रास्ता नहीं, बल्कि एक शांतिपूर्ण रास्ता। राहुल ने कहा कि पाकिस्तान के अलावा नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, भूटान जब जगह चीन अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। हाल में मालदीव संकट में चीन की भूमिका फिक्र करने वाली है क्योंकि मालदीव, भारत का गहरा दोस्त रहा है। राहुल ने कहा कि आज हालत यह है कि चीन हमारे सभी सार्क पड़ोसी देशों पर धाक जमा चुका है और भारत अलग-थलग पड़ चुका है। राजग सरकार ने भारतीय विदेश नीति में एक समस्या खड़ी कर दी है।
राहुल ने कहा कि भारत का करीबी मित्र रूस अब हमारे एक पड़ोसी से नजदीकी बढ़ा रहा है। यह एक गंभीर समस्या है, जिसपर बात नहीं हो रही है।
रोजगार सृजन पर केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए राहुल ने दावा किया कि चीन में हर 24 घंटे में 50,000 नौकरियां सृजित की जाती हैं, जबकि राजग सरकार इतनी ही अवधि में 450 नौकरियां पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सार्वजनिक तौर पर विचार विमर्श भी नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को उतने ही रोजगार सृजन करने चाहिएं, जितने चीन में हो रहे हैं।