मुख्यमंत्री शुक्रवार को यहां भारतीय सडक़ कांग्रेस के 78 वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने बेंगलूरु तथा राज्य के अन्य हिस्सों में बुनियादी ढांचे के विकास की अनेक गतिविधियां शुरू की हैं। गांवों को शहरों से जोडऩे को उच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अलावा कर्नाटक राज्य राजमार्ग सुधार परियोजना तथा कर्नाटक सडक़ विकास निगम राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कड़ा परिश्रम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा विकास के लिए निजी-सार्वजनिक भागीदारी में अनेक परियोजनाओं को शुरू किया गया है। सडक़ों की मौजूदा हालत को ध्यान में रखकर वैज्ञानिक रूप से वार्षिक कार्यक्रम तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने प्लाङ्क्षनंग एंड रोड एसेट मैनेजमेंट केंद्र की स्थापना की है। इसे अधुनातन उपकरण व साफ्टवेयर उपलब्ध करवाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में राज्य मेें राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई कई गुना बढ़ी है और मंत्रालय व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के जरिए अनेक क्रमोन्नयन कार्य शुरू किए गए हैं। अनेक दो लेन से चार लेन वाली सडक़ों का विकास किया गया है। कर्नाटक सडक़ विकास निगम ने 1,055 किमी लंबे राज्य राजमार्ग के क्रमोन्नयन का कार्य शुरू किया है जिसमें से 601 किमी लंबी सडक़ों का निर्माण कार्य पहले ही विश्व बैंक की सहायता से पूरा करवाया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साढ़े चार सालों में सडक़ क्षेत्र में राज्य सरकार की उपलब्धियां महतवूपर्ण रही हैं। इस अवधि में हमने 10,96 9 करोड़ रुपए की लागत से 10,926 किमी लंबे राज्य राजमार्ग का क्रमोन्नयन किया गया है तथा 8,434 करोड़ रुपए की लागत से प्रमुख जिला सडक़ों का क्रमोन्नयन किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि राज्य में 1854 किमी नए राष्ट्रीय राजमार्गों का क्रमोन्नयन हुआ है और केन्द्र सरकार ने 6,433 किमी लंबे राज्य राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग के तौर पर क्रमोन्नत करने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की है। राज्य में नाबार्ड की सहायता से 2,478 किमी लंबी ग्रामीण सडक़ों व 329 पुलों का निर्माण 1252 करोड़ रुपए की लागत से पूर्ण किया गया है।