जनप्रतिनिधि की जिद !!!
बैंगलोरPublished: May 29, 2019 06:23:09 pm
पार्षद बना सांसद अब दोनों पद रखने पर अड़़ा
बेंगलूरु. भाजपा के लिए उसके एक नवनिर्वाचित सांसद नई मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। बीबीएमपी के काडुगोडी वॉर्ड के पार्षद एस मुनिस्वामी ने कोलार लोकसभा सीट से चुनाव जीता है। कहा जा रहा है कि वे सांसद के साथ ही पार्षद भी बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऐक्ट 1976 में इस बारे में कुछ नहीं लिखा है कि अगर कोई पार्षद, विधायक या सांसद चुना जाता है तो उसे पद छोडऩा होगा। मुनिस्वामी ने कहा, ऐसा कोई नियम- कानून नहीं है कि कोई सांसद पार्षद के पद पर नहीं रह सकता है। मुझे पार्षद के पद से इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है। मैं सिर्फ वह भत्ता लेना बंद कर दूंगा जो मुझे पार्षद के तौर पर मिलता है। मुनिस्वामी के इस फैसले के बाद विवाद पैदा हो गया है। नेताओं का कहना है कि कोलार देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है, ऐसे में मुनिस्वामी को एक सांसद के तौर पर ज्यादा ऊर्जा और ज्यादा समय देकर काम करना होगा। इसलिए उन्हें पार्षद नहीं रहना चाहिए।
केएमसी एक्ट में नहीं है स्पष्टता
बीजेपी ने मुनिस्वामी को कांग्रेस के केएच मुनियप्पा के खिलाफ टिकट दिया था। मुनीयप्पा यहां से सात बार सांसद रह चुके हैं। मुनिस्वामी ने उन्हें 2.1 लाख वोटों के अंतर से हराया है। मुनिस्वामी पहले ऐसे पार्षद हैं जो सांसद भी चुने गए हैं। मुनिस्वामी का दोनों पदों पर कब्जा करने का निर्णय इस बात की ओर इशारा करता है कि शीघ्रता पूर्वक केएमसी अधिनियम में इस तरह के मामलों को लेकर स्पष्टता की जरूरत है।
विपक्ष उठा रहा मंशा पर सवाल
विरोधी नेताओं ने मुनिस्वामी के दोनों पदों पर बने रहने की मंशा के पीछे सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह उचित है कि एक पार्षद रहते अगर वह सांसद बन गए हैं तो उन्हें पार्षद का पद छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने के लिए नियम होना जरुरी नहीं है। बीबीएमपी के पूर्व आइएएस जयराज ने कहा कि विधायक और सांसद निगम में पदेन सदस्यों के रूप में काम करना जारी रखते हैं, तो यह समझ में आता है। लेकिन मैं हैरान हूं कि देश की सर्वोच्च नीति बनाने वाली संस्था संसद के लिए चुने गए व्यक्ति, निगम के सदस्य के रूप में क्यों बने रहना चाहते हैं?