बैंगलोर

karnataka : निम्हांस के मनोवैज्ञानिक ने दी ‘इंटरनेट उपवास’ की सलाह

ज्यादातर लोगों और विशेषकर युवाओं एवं बच्चों को Mobile, Internet और social media की लत लग गई है। इंटरनेट के दुष्प्रभावों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब डिजिटल लत छुड़ाने के लिए क्लिनिक का सहारा लेना पड़ रहा है। समय आ गया है कि उपवास की तरह लोग ‘इंटरनेट उपवास’ भी रखें। ‘इंटरनेट से छुट्टी’ लें। बच्चों को भी गैजेट्स के अनावश्यक इस्तेमाल से दूर रखें।

बैंगलोरAug 02, 2019 / 09:49 pm

Nikhil Kumar

karnataka : निम्हांस के मनोवैज्ञानिक ने दी ‘इंटरनेट उपवास’ की सलाह

-दैनिक कार्य और जीवन प्रभावित

-लोग चिड़चिड़े हो रहे हैं

बेंगलूरु. ज्यादातर लोगों और विशेषकर युवाओं एवं बच्चों को मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया की लत लग गई है। इसके कारण लोगों के बीच मौखिक संवाद घटा है, रिश्तों में खटास आई है, लोग चिड़चिड़े हो रहे हैं, शारीरिक और मानसिक समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बच्चों पर बहुत बुरा असर हो रहा है। बच्चे मोटापे का शिकार हो रहे हैं।

ये बातें राष्ट्रीय मानसिक आरोग्य व स्नायु विज्ञान संस्थान (निम्हांस) में डिजिटल लत छुड़ाने की क्लिनिक ‘सट’ (सर्विस फॉर हेल्दी यूज ऑफ टेक्नोलॉजी) चला रहे क्लिनिकल साइकोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने शुक्रवार को कही। वे रामय्या इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च की ओर से ‘स्मार्ट फोन के इस्तेमाल का स्वस्थ तरीका’ विषय पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि दुष्प्रभावों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब डिजिटल लत छुड़ाने के लिए क्लिनिक का सहारा लेना पड़ रहा है। समय आ गया है कि उपवास की तरह लोग ‘इंटरनेट उपवास’ भी रखें। ‘इंटरनेट से छुट्टी’ लें। बच्चों को भी गैजेट्स के अनावश्यक इस्तेमाल से दूर रखें। डिजिटल लत से पीडि़त लोगों के लक्षण के बार में डॉ. शर्मा बताते हैं कि पीडि़त अकेले समय बिताना पसंद करते हैं।

परिवार और दोस्तों से कट जाते हैं। समय से खाने-पीने की सुध तक नहीं रहती। उन्हें बार-बार इंटरनेट चलाने या मोबाइल इस्तेमाल करने की तलब रहती है। मोबाइल या नेट सर्फिंग शुरू करने के बाद इनका खुद पर नियंत्रण नहीं रहता है। ऐसे लोगों का दैनिक कार्य और जीवन प्रभावित होता है। परिजनों की बात नहीं सुनते और बार-बार फोन देखते हैं। उन्हें हमेशा फोन खोने का डर सताता है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि डिजिटल लत के लक्षणों को समझना इसके प्रबंधन की दिशा में पहला कदम है।

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