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निपाह वायरस: दक्षिण कन्नड़ जिले में हाई अलर्ट, मिले दो मरीज

locationबैंगलोरPublished: May 23, 2018 06:09:46 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

केरल-कर्नाटक सीमा पर सतर्कता के निर्देश, फ्लू पीडि़त व इसके लक्षण वाले लोगों पर विशेष निगरानी

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निपाह वायरस: दक्षिण कन्नड़ जिले में हाई अलर्ट, मिले दो मरीज

बेंगलूरु. केरल व इसके तटीय शहर कोझिकोड में निपाह वायरस के प्रसार व इससे 10 से भी ज्यादा मौतों कथित को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। वायरस के प्रसार के खतरों को देखते हुए केरल-कर्नाटक सीमा पर विशेष सर्तकता बरती जा रही है। फ्लू पीडि़त व इसके लक्षण वाले लोगों पर स्वास्थ्य विभाग की विशेष नजर है। आवश्यक स्वास्थ्य जांच के बाद ही ऐसे लोगों को कर्नाटक में प्रवेश की इजाजत दी जा रही है।
निर्देश के अनुसार केरल-कर्नाटक सीमा के सभी अस्पतालों के लिए बुखार के मरीजों की जानकारी सरकार को देना अनिवार्य किया गया है। दक्षिण कन्नड़ जिले के उपायुक्त एस. शशिकांत सेंथिल ने बताया कि जिला हाई अलर्ट पर है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शिवकुमार आर. के अनुसार पांच से 18 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद बुखार व सिर दर्द जैसे लक्षण सामने आते हैं।
इसके 24-48 घंटों में मरीज कोमा में पहुंच सकता है। संक्रमण के शुरुआती चरण में सांस लेने में भी समस्या होती है, जबकि आधे मरीजों को न्यूरोलॉजिकल दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह बीमारी लाइलाज है। लक्षणों का उपचार होता है। एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम के रूप में तेज संक्रमण, बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, विचलन, कोमा और आखिर में मौत होने के लक्षण नजर आते हैं। संक्रमण के बाद बीमारी को बढऩे से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है। निपाह वायरस सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है और इसके संपर्क में आने से मनुष्यों को भी चपेट में ले लेता है। संक्रमित इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। खजूर की खेती करने वाले लोगों को ज्यादा खतरा है, इसलिए उन्हें खास हिदायत दी जा रही है।
मिले निपाह वायरस के दो मरीज!
मेंगलूरु. जिले में कथित तौर पर दो लोगों के निपाह वायरस से पीडि़त होने की बात सामने आई है। दोनों अलग-अलग अस्पताल में भर्ती हैं। जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रामकृष्ण ने बताया कि कंठ स्राव के नमूनों को जांच के लिए मणिपाल वायरस अनुसंधान केंद्र भेजा गया है। बुधवार शाम या गुरुवार सुबह तक रिपोर्ट आने की उम्मीद है। जिसके बाद आगे की पुष्टि के लिए रिपोर्ट को पुणे स्थित राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान भेजा जाएगा।
यूं पड़ा नाम
निपाह वायरस का पहला मामला सबसे पहले सिंगापुर-मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह में 1998 में सामने आया था। जिसके बाद इस वायरस का नाम निपाह पड़ा। उस वक्त वायरस के वाहक ***** थे।
चमगादड़ से बचें
फ्रूट बैट्स प्रजाति के चमगादड़ के जरिए लोगों में संक्रमण जल्दी फैलता है। कारण, यह एक मात्र स्तनधारी है जो उड़ सकता है। पेड़ पर लगे फलों को खाकर संक्रमिक कर देता है। जब पेड़ से गिरे इन संक्रमित फलों को इंसान खा लेता है तो वह बीमारी की चपेट में आ जाता है।
यूं करें बचाव
* जमीन पर झड़े फलों के सेवन से बचें।
* बीमार घरेलू जानवर व सूअरों को लेकर विशेष सावधानी बरतें, दूरी बनाए रखें।
* खजूर के पेड़ से निकले तरल पदार्थ का सेवन न करें।
* जानवरों द्वारा खाने के निशान हों तो ऐसी सब्जियां न खरीदें।
* जहां चमगादड़ अधिक हों वहां खजूर खाने से परहेज करें।
* खुले बर्तन में बनी शराब का सेवन न करें।
* चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाएं।
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