इस पर वह भड़क गईं और कहा कि वह जिला प्रशासन की ओर से बनाए गए कार्यक्रम का पालन कर रही हैं। समय की कमी उनकी गलती नहीं है। महेश की ओर देखते हुए रक्षा मंत्री ने कहा ‘हैरानी की बात है कि मैं केंद्रीय मंत्री हूं फिर भी आपका निर्देश मान रही हूं। यह अविश्वसनीय है।Ó इसके बाद रक्षा मंत्री कोडुगू की जिलाधिकारी श्रीविद्या की ओर मुखातिब होते हुए पूछा कि क्या कार्यक्रम सही ढंग से चल रहा है? महेश और जिलाधिकारी के संवाद के बीच ही निर्मला ने कहा कि अगर कार्यक्रम मेंं कोई बदलाव होना था उसे पहले तय किया जाना था, इस तरह से मुझे असहज स्थिति में लाना ठीक नहीं है। अगर अधिकारी महत्वपूर्ण हैं तो मेरा परिवार भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इसी दौरान जब उन्हें बताया गया कि मीडिया के कैमरे चालू हैं तो उन्होंने कहा कि रिकार्ड होने दीजिए। इसके बाद नाराज दिख रहीं निर्मला ने कक्ष में मौजूद अधिकारियों से पूछा कि आप में से कितने लोग पुनर्वास कार्य से जुड़े हैं? मैं नहीं चाहती यहां मौजूद पुनर्वास कार्य से जुड़ा कोई अधिकारी हतोत्साहित हो।
जब मीडियाकर्मियों ने रक्षा मंत्री से कैमरे के सामने उच्च स्वर में बोलने को कहा तो उसी नाराज स्वर में उन्होंने कहा कि ‘माइक चालू है। सबकुछ रिकॉर्ड हो सकता है। आप जितना चाहे रिकॉर्ड कर सकते हैं।Ó इसके बाद महेश चुप रहे और सीतारमण ने मीडिया को संबोधित किया और विस्तृत सर्वे के बाद जिले को पूरी मदद देने का वादा किया। तत्काल राहत के तौर पर उन्होंने अपने सांसद कोष से 1 करोड़ और रक्षा मंत्रालय की ओर से 7 करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
बाद में इस मुद्दे पर महेश ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सीतारमण के गुस्से को अनावश्यक बताया और कहा कि बेवजह इस मामले को इतना तूल दिया गया। यह घटना उस वक्त घटी जब कोडुगू जिला बाढ़ के कारण संघर्ष कर रहा है। महेश ने कहा कि यह राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों का असली स्वभाव है। वे आम आदमी की समस्याओं और गरीबी से वाकिफ नहीं है। सीतारमण को मर्यादा और गरिमा का ख्याल रखना चाहिए था लेकिन उन्होंने बात का बतंगड़ बना दिया। उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि तुरंत बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा क्यों नहीं की जाती। क्या केंद्र ने केरल के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने से पहले कोई सर्वे करवाया।
इसी दौरान जब उन्हें बताया गया कि मीडिया के कैमरे चालू हैं तो उन्होंने कहा कि रिकार्ड होने दीजिए। इसके बाद नाराज दिख रहीं निर्मला ने कक्ष में मौजूद अधिकारियों से पूछा कि आप में से कितने लोग पुनर्वास कार्य से जुड़े हैं? मैं नहीं चाहती यहां मौजूद पुनर्वास कार्य से जुड़ा कोई अधिकारी हतोत्साहित हो।
जब मीडियाकर्मियों ने रक्षा मंत्री से कैमरे के सामने उच्च स्वर में बोलने को कहा तो उसी नाराज स्वर में उन्होंने कहा कि ‘माइक चालू है। सबकुछ रिकॉर्ड हो सकता है। आप जितना चाहे रिकॉर्ड कर सकते हैं।Ó इसके बाद महेश चुप रहे और सीतारमण ने मीडिया को संबोधित किया और विस्तृत सर्वे के बाद जिले को पूरी मदद देने का वादा किया। तत्काल राहत के तौर पर उन्होंने अपने सांसद कोष से 1 करोड़ और रक्षा मंत्रालय की ओर से 7 करोड़ रुपए देने की घोषणा की।
बाद में इस मुद्दे पर महेश ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सीतारमण के गुस्से को अनावश्यक बताया और कहा कि बेवजह इस मामले को इतना तूल दिया गया। यह घटना उस वक्त घटी जब कोडुगू जिला बाढ़ के कारण संघर्ष कर रहा है। महेश ने कहा कि यह राज्यसभा के लिए चुने जाने वालों का असली स्वभाव है। वे आम आदमी की समस्याओं और गरीबी से वाकिफ नहीं है। सीतारमण को मर्यादा और गरिमा का ख्याल रखना चाहिए था लेकिन उन्होंने बात का बतंगड़ बना दिया। उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि तुरंत बाढ़ राहत पैकेज की घोषणा क्यों नहीं की जाती। क्या केंद्र ने केरल के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने से पहले कोई सर्वे करवाया।