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कृषि उत्पादकता बढ़ाने में कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं: नीति आयोग

locationबैंगलोरPublished: Mar 01, 2020 10:39:24 am

Submitted by:

Rajeev Mishra

कृषि विश्वविद्यालयों, नीति-निर्माताओं और किसानों को मिलकर पूर्ण बदलाव के लिए करना होगा काम

कृषि उत्पादकता बढ़ाने में कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं: नीति आयोग

कृषि उत्पादकता बढ़ाने में कृषि विश्वविद्यालय आगे आएं: नीति आयोग

बेंगलूरु.
नीति आयोग और 15 वें वित्त आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने में कृषि विश्वविद्यालयों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य में में दो-तिहाई कृषि योग्य भूमि वर्षा पर आधारित है और यहां सिंचाई की स्थायी सुविधाओं तक पहुंच नहीं है। ऐसे में कृषि विश्वविद्यालयों, नीति-निर्माताओं और किसानों को मिलकर पूर्ण बदलाव के लिए काम करना होगा।
शिवमोग्गा में कृषि और बागवानी विज्ञान विश्वविद्यालय (यूएएचएस) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और उच्च कृषि विकास दर हासिल करने की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन, ेंअसमय बारिश और लगातार सूखे ने किसानों के जीवन को दयनीय बना दिया है। वर्ष 2017-18 में राज्य में प्रति हेक्टेयर 99 हजार रुपए मूल्य के फसल का उत्पादन हुआ जबकि राष्ट्रीय औसत प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 1.10 लाख रूपए है। उन्होंने कहा कि राज्य में दूसरी फसल की खेती केवल 23 फीसदी कृषि योग्य भूमि पर होती है। कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता एक बड़ी समस्या है। राज्य में बंजर और अनुपयुक्त भूमि पर पेड़ लगाकर किसान अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं। देश में 40 फीसदी से अधिक लकड़ी की आवश्यकता आयात से पूरी होती है। यह एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।

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