उधर, तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के कारण चार माह पुरानी गठबंधन सरकार पर मंडराते संकट को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी भी अब खुद मैदान में उतर चुके हैं। कुमारस्वामी ने मंत्री रमेश जारकीहोल्ली की अगुवाई में चल रही असंतुष्ट गतिविधियों पर विराम लगाने के मकसद से शहर के एक पांच सितारा होटल में जारकीहोल्ली बंधुओं विधायक नागेंद्र व अन्य के साथ बातचीत की।
सूत्रों का कहना है कि जारकीहोल्ली बंधुओं ने अपने गुट के एक सदस्य को उप मुख्यमंत्री बनाने, बल्लारी जिले के एक नायक समुदाय के विधायक को मंत्री बनाने, बेलगावी जिले की राजनीति में मंत्री शिवकुमार के दखल पर नियंत्रण लगाने और अपने निर्वाचन क्षेत्रों में उनके पसंदीदा अधिकारियों के तबादले करने की मांग रखी हैं। सूत्रों का कहना है कि जारकीहोल्ली बंधुओं ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें बेलगावी जिले तक ही सीमित हैं और इससे गठबंधन सरकार के समक्ष कोई खतरा उत्पन्न नहीं होगा।
सूत्रों का कहना है कि सोमवार को इन नेताओं की सिद्धरामय्या के साथ हुई बातचीत विफल रहने के बाद जद-एस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की सलाह पर मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने उनसे बात करने की पहल की। बातचीत के दौरान कुमारस्वामी ने विधायकों से जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करने की समझाइश दी और उनकी मांगे पूरी करने का भरोसा दिया।
बातचीत के दौरान रमेश ने कहा कि कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री रहने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है पर उनके जिले की राजनीति में उनके साथ अन्याय हुआ है जिसे पार्टी स्तर पर दूर करना होगा लेकिन पार्टी के नेता एक बार अन्याय दूर करने की बात कहते तो दूसरी बार उन्हें चुनौती देते हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री सहित सभी महत्वपूर्ण विभागों के पद दक्षिण कर्नाटक के नेताओं को दे दिए गए हैं। उनके क्षेेत्र के विधायकों को भी सत्ता में अधिक भागीदारी मिलनी चाहिए। बैठक के दौरान लोक निर्माण मंत्री एचडी रेवण्णा भी मौजूद थे।
सीएम के सामने कोई मांग नहीं रखी: सतीश
कुमारस्वामी से मुलाकात के बाद सतीश ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने कोई मांग नहीं रखी है और उनका किसी रिजोर्ट में जाने का भी कोई इरादा नहीं है। सभी मतभेद दूर कर लिए गए हैं। उप मुख्यमंत्री बनाने जैसी कोई मांग नहीं रखी है। अपने समर्थक विधायकों को लेकर किसी रिजोर्ट में नहीं जाएंगे और विधायक पद से त्यागपत्र देने का भी इरादा नहीं है।
शह-मात का खेल
कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि कुमारस्वामी से मुलाकात के दौरान रमेश ने सिर्फ अपनी मांगों पर ही बल दिया। रमेश ने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए कांग्रेस आलाकमान को ३० सितम्बर तक की मोहलत दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल के अगले विस्तार में सतीश जारकीहोली को मौका मिल सकता है। कांग्रेस के ही एक अन्य नेता ने कहा कि जारकीहोली बंघुओं से गठबंधन सरकार को कोई खतरा नहीं है। उनके पास बगावत करने या सरका गिराने के लिए पर्याप्त संख्या में विधायक नहीं हैं।
हालांकि, कांग्रेस नेता कह रहे हैं कि भाजपा की ओर से नाराज विधायकों को कई तरह के प्रलोभन दिए जा रहे हैं। सबसे अधिक विधायक तोडक़र लाने वाले को उपमुख्यमंत्री बनाने की बातें भी कही जा रही है। कांग्रेस के कई विधायकों के नाम संभावित बागी के तौर पर चर्चा में हैं लेकिन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कुमारस्वामी की जारकीहोली बंधुओं से मुलाकता के बाद स्थिति बदली है। कुमारस्वामी ने जारकीहोली बंधुओं को उनकी मांगों को लेकर कांग्रेस आलाकमान से बात करने का भरोसा दिया है।