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सब भगवान की लीला

locationबैंगलोरPublished: Jul 19, 2019 12:03:45 am

Submitted by:

Rajendra Vyas

किसी अन्य विभाग के तबादलों में हस्तक्षेप नहीं: रेवण्णा
कुमारस्वामी से मनमुटाव नहीं

Revanna

सब भगवान की लीला

बेंगलूरु. लोकनिर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के भाई एचडी रेवण्णा ने उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है कि वे किसी भी विभाग के अधिकारियों के तबादलों में हस्तक्षेप करते हैं। कुछ विधायकों ने रेवण्णा पर इस तरह का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस आरोप को साबित कर दे तो मैं राजनीति से सन्यास लेने के लिए तैयार हूं। बुधवार को विधानसभा में उन्होंने कहा कि बेंगलूरु शहर के बुनियादी ढ़ांचे के विकास के लिए उन्होंने ही सबसे अधिक योगदान दिया है। ऐसे में उन पर बेंगलूरु शहर के विकास की अनदेखी का आरोप बेबुनियाद है। केवल एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान ही गत कई वर्षों से लंबित शहर के आउटर रिंग रोड के लिए उन्होंने 10 हजार करोड़ रुपए की निविदाएं आमंत्रित की है, जबकि भाजपा के राज्य में 5 वर्षों तक सत्ता में होने के बावजूद इस सड़क के लिए निविदाएं तक आमंत्रित नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने गत 14 माह के अल्पकाल के दौरान राज्य के विकास के लिए जो अथक प्रयास किया है वह बेमिसाल है। मीडिया में कुमारस्वामी तथा रेवण्णा के बीच सत्ता की जंग चलने की बेबुनियाद खबरें चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पिता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के संस्कारों के कारण उनके परिवार में कोई संघर्ष नहीं है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी ने सोचा भी नहीं था की 37 विधायकों के बलबूते पर राज्य में जद-एस सत्ता में आ सकती है लेकिन भगवान की कृपा से कांग्रेस-जद गठबंधन सरकार को सदन में 118 विधायकों का समर्थन मिला जो अब 101 तक गिर गया है। यह सब भगवान की लीला है।
सत्ता खोने का कोई डर नहीं
उन्होंने कहा कि उनको सत्ता खोने का कोई डर नहीं है। उनके पिता एचडी देवगौड़ा ने प्रधानमंत्री का पद ही ठुकरा दिया था। जब तक हम सत्ता में थे तब तक हमने गरीबों के लिए कार्य किया है। अगर इस सरकार का पतन होता है तो देवगौड़ा परिवार को कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन राज्य के लाखों गरीब परिवारों का नुकसान जरुर होगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी असंतुष्ट विधायक को उनकी (रेवण्णा) वजह से कोई नुकसान हुआ है तो वे ऐसे विधायक से क्षमायाचना करने के लिए तैयार है। साथ ही, असंतुष्ट विधायकों को सत्र के दौैरान दूर मुंबई में रहकर राजनीतिक बयान देने के बदले सत्र में भाग लेकर अपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए।

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