उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक पार्टी दलित समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर गंभीर नहीं है। किसी दलित मुख्यमंत्री की नियुक्ति की चर्चा केवल राजनीतिक कारणों से की जाती है। राज्य मेंं कभी भी दलित मुख्यमंत्री नहीं बनेगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी पर भरोसा नहीं है कि वह किसी दलित को मुख्यमंत्री के रूप में चुनेगा। जब Ambedkar ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया तो किसी ने भी उनका समर्थन नहीं किया। किसी ने भी उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने और सरकार में बने रहने का आग्रह नहीं किया।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और डॉ जी.परमेश्वर का उदाहरण देते हुए नारास्वामी ने कहा कि दलित नेताओं को हाशिए पर रखने का ट्रेंड शुरू से ही चला आ रहा है। खरगे 9 बार सांसद और विधायक चुने गए और केंद्रीय मंत्री के रूप में भी काम किया। परमेश्वर को 2013 में मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात थी तो वह अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में ही हार गए थे। उन्होंने कहा कि जिस तरह की राजनीतिक प्रथा यहां है उसमें किसी दलित को मुख्यमंत्री बनने का सपना देखना नासमझी भरा है।