15 दिसंबर तक फीस नहीं तो ऑनलाइन शिक्षा नहीं
- निजी स्कूल संघ ने फिर चेताया : कहा, बंदी के कगार पर कई स्कूल

- फीस कम करने की भी उठ रही मांग
बेंगलूरु. एसोसिएटेड मैनेजमेंट ऑफ इंग्लिश मीडियम स्कूल्स इन कर्नाटक (केएएमएस) ने स्कूल फीस नहीं भरने वाले अभिभावकों को फिर चेताया है। 15 दिसंबर तक फीस जमा नहीं होने की स्थिति में बच्चे ऑनलाइन कक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे। इससे पहले केएएमएस ने 30 नवबंर से कक्षाएं बंद करने की चेतावनी दी थी।
मासिक फीस पर निर्भर 18 हजार बजट स्कूल
केएएमएस के महासचिव डी. शशिकुमार ने कहा कि अभी ऑनलाइन शिक्षा तो दे रहे हैं, अगर फीस नहीं मिलेगी तो शिक्षकों को वेतन कहां से देंगे? प्रदेश के 18 हजार बजट स्कूल मासिक फीस पर निर्भर हैं। 30 फीसदी से भी कम अभिभावकों ने फीस भरी है। ऊपर से सरकार ने दूसरे टर्म की फीस वसूलने की इजाजत नहीं दी है। सरकार ने निजी स्कूल संचालकों व कर्मचारियों की सुध नहीं ली है। इंतजार में हैं कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग केएएमएस की समस्याओं का समाधान करेगा। अभिभावकों से दूसरे टर्म की फीस लेने की इजाजत देगा। ऐसे अभिभावकों की सूची लंबी है जिन्होंने एक टर्म की फीस तक जमा नहीं कराई है।
बीच का रास्ता निकाले सरकार
शशिकुमार ने कहा कि कोरोना महामारी ने शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाला है। निजी और विशेषकर बजट स्कूल बुड़ी तरह से प्रभावित हुए हैं। आमदनी शून्य हो गई है। इन स्कूलों में बड़ी संख्या में शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को रोजगार मिला हुआ है। यदि ऐसे हालात रहे तो बड़ी संख्या में कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं। सरकारी स्कूलों में तो शिक्षकों को वेतन भी मिल रहा है। अन्य स्रोतों से ऑनलाइन कटेंट भी मिल रहा है। लेकिन निजी स्कूलों को सारी व्यवस्थाएं खुद जुटानी होती हैं। उन्हें भी संसाधन की जरूरत होती है। सरकार को चाहिए कि बीच का रास्ता निकाले।
भारी भरकम फीस कैसे चुकाएं
दूसरी ओर अभिभावक कई महीनों से फीस कम करने की मांग उठा रहे हैं। कोरोना महामारी ने सभी की कमर तोड़ रखी है। आर्थिक संकट हावी है। ऐसे में अभिभावकों के सामने संकट है कि वह निजी स्कूलों की भारी भरकम फीस कैसे चुकाएं, लिहाजा वे इनसे किनारा कर अपने बच्चों का सरकारी स्कूलों में दाखिला कर रहे हैं। कर्नाटक सहित देश के कई राज्यों के सरकारी स्कूलों में तेजी से बढ़ते दाखिलों के आंकड़े यही तस्वीर पेश करते हैं।
93 हजार बच्चों को भेजा निजी से सरकारी स्कूल
शिक्षा विभाग के अनुसार कर्नाटक में करीब 93 हजार बच्चों के अभिभावकों ने बच्चों को निजी स्कूलों से निकाल इनका दाखिला सरकारी स्कूलों में कराया है। सबसे बड़ा कारण, अभिभावक बच्चों की फीस देने में असमर्थ हैं। कर्नाटक में सरकारी स्कूल कक्षा एक से आठ तक मुफ्त शिक्षा देते हैं जबकि नवीं और दसवीं कक्षा के लिए 250 रुपए फीस ली जाती है।
प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने भी 93 हजार से ज्यादा बच्चों के निजी से सरकारी स्कूल पहुंचने की पुष्टि की है। उनके अनुसार बच्चों का सरकारी स्कूलों की तरफ रुख करने की सबसे बड़ी वजह अभिभावकों की आर्थिक स्थिति है। सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी नहीं है। शिक्षा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेंगे। सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या और बढ़ेगी।
केएएमएस पहले से ही शिक्षा विभाग पर विशेष रणनीति के तहत निजी स्कूलों के बच्चों को सरकारी स्कूलों की ओर खींचने के आरोप लगाता आ रहा है। शिक्षा विभाग ने आरोपों को निराधार बताया है।
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