बेंगलूरु. आचार्य महाश्रमण ने कहा कि व्यक्ति को भीतर और बाह्य पदार्थों का आनंद दोनों को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना पड़ता है। बाह्य आनंद के लिए बाहरी साधनों का और भीतरी आनंद अर्थात सहजानंद प्राप्त करने के लिए साधना रूपी प्रयत्न करना पड़ता है। भीतरी आनंद पाने के लिए बाहर खोज की अपेक्षा नहीं है। भीतरी आनंद हर व्यक्ति के भीतर रहता है परंतु ज्ञान के अभाव में वे उससे परिचित नहीं हो पाते हैं और उसका आनंद नहीं ले पाते हैं। मोहनीय कर्म का जितना अभाव होगा उतना ही भीतरी आनंद का प्रभाव रहेगा और मोहनीय कर्म का अगर प्रभाव रहा तो भीतरी आनंद का अभाव हो जाएगा। आचार्य ने सभी को मन की चंचलता कम करने और कर्मों को क्षीण करने की साधना में आगे बढ़ कर सुमंगल साधना और ग्यारह प्रतिमा की साधना के लिए उत्प्रेरित किया। आचार्य ने अणुव्रत अधिवेशन के उपलक्ष में कहा कि जिस प्रकार मकान की सफाई रोज करनी पड़ती है। उसी प्रकार आत्मा की सफाई भी निरंतर करते रहना चाहिए। हर काल में भ्रष्टाचार और अनैतिकता रही है। चारों ओर फैली अनैतिकता को देखकर निराश नहीं होना चाहिए और निरंतर प्रकाश से अनैतिकता के अंधकार को मिटाने के लिए प्रयत्न रहना चाहिए। अणुव्रत को एक दीपक के समान बताते हुए आचार्य ने कहा कि घने अंधेरे में एक नैतिकता रूपी छोटे दीपक की रोशनी प्रकाशमान कर सकती है। आचार्य ने उपस्थित जनसमुदाय को नैतिकता को मिटाने के लिए हाथ पर हाथ धरकर बैठने और देखने की बजाय निरंतर प्रयत्न कर उन्हें मिटाने के लिए पुरुषार्थ करने की प्रेरणा दी। आचार्य तुलसी द्वारा प्रदत्त अणुव्रत आंदोलन संपूर्ण भारतवर्ष में अनैतिकता को मिटाने के लिए प्रयासरत हैं। आचार्य ने सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपराध बढऩे का एक कारण अर्थ को बताते हुए कहा कि अनैतिकता से कमाया पैसा किसी संस्था के विकास में नहीं लगना चाहिए। प्रवचन कार्यक्रम के दौरान मुनि रजनीश कुमार, साध्वी धवलप्रभा और साध्वी शरदप्रभा के संयम जीवन के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आचार्य ने उन्हें निरंतर साधना में रत रहने की एवं आगम स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने कहा कि अणुव्रत का मुख्य उद्देश्य है स्वस्थ परिवार और स्वस्थ समाज की रचना करना है। साध्वीप्रमुखा ने संयम जीवन की रजत जयंती मना रहे सभी साधु साध्वियों को संयम में रत रहकर आगे बढऩे की प्रेरणा दी और उनके आध्यात्मिक जीवन की मंगल कामना की। प्रवचन में अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष अशोक संचेती ने अधिवेशन के शुभारंभ कल सभी का स्वागत किया। अणुव्रत समिति सदस्यों द्वारा गीत की प्रस्तुति हुई। अणुव्रत अधिवेशन की संयोजिका शांति सकलेचा ने संचालन किया। आचार्य महाश्रमण के दर्शनार्थ भाजपा राष्ट्रीय संगठन महासचिव बी.एल. सन्तोष, कर्नाटक भाजपा के उपाध्यक्ष निर्मल सुराणा एवं बेंगलूरु के मेयर मेयर गौतम मकाणा ने भी दर्शन किए।