उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने राज्य को मंजूर की गई कोटले की खदानें वापस ले ली हैं। इतना ही नहीं, बल्लारी से यरमरस तक कोयला ले जाने की अनुमति को भी रद्द कर दिया है। इसे जाने बगैर ही केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर राज्य में बिजली की स्थिति पर टीका टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसा करने के बजाय राज्य को कोयले की खदाने व कोटले की ढुलाई की अनुमति दिलाई जानी चाहिए। पिछले चार साल से लगातर सूखा पडऩे पर भी राज्य में बिजली की कटौती लागू नहीं की गई। इस साल राज्य में अच्छी बारिश हुई है पर केन्द्र सरकार ने हमारे ताप बिजलीघरों के लिए आवंटित कोयले की आपूर्ति को रद्द कर दिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के बल्लारी व यरमरस ताप बिजलीघरों को कोटले की जरूरत है, लिहाजा जावड़ेकर को राजनीति करने के बजाय राज्य के लिए कोयला आवंटित करवाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने राज्य को आवंटित कोयला भंडारों को रद्द करके शक्ति योजना के तहत नए सिरे से आवेदन करने के निर्देश दिए हैं। बिजली की आपूर्ति करने के मामले में राज्य पूरे देश में दूसरे स्थान पर है और राज्य सरकार ने सूखे के बावजूद बिजली की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की है।
चुनावी वर्ष में पेश आ रही कठिनाईयों को देखते हुए हम दूरदृष्टि रखकर 4.10 रुपए प्रति यूनिट की दर से 900 मेगावाट बिजली की खरीद कर रहे हैं। केन्द्र सरकार की असहयो का रवैया जारी रहने के कारण हमने कुछ ठोस कदम उठाए हैं। उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने के बाद भी हमारे पास करीब 1200 मेगावाट बिजली अतिरिक्त बची रहेगी।
राज्य के ताप बिजलीघरों को कोयले की कमी का सामना नहीं करने देने के लिए राज्य सरकार ने करीब एक मिलीयन टन कोयले की खरीद करने के लिए विदेशी कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की हैं।