scriptतमिलनाडु के दबाव में ना झुके केंद्र | No tilt center under the pressure of Tamil Nadu | Patrika News

तमिलनाडु के दबाव में ना झुके केंद्र

locationबैंगलोरPublished: Apr 05, 2018 05:40:09 pm

Submitted by:

Ram Naresh Gautam

कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश का गहराई से अध्ययन किए जाने की जरूरत है

hd devegowda
बेंगलूरु. जनता दल (ध) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने कावेरी प्रबंधन बोर्ड (सीएमबी) के गठन के मसले पर केन्द्र सरकार को तमिलनाडु के नेताओं के दबाव में नहीं आने और जल्दीबाजी में फैसला नहीं करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश का गहराई से अध्ययन किए जाने की जरूरत है।
देवेगौड़ा ने बुधवार को यहां कहा कि अगर केंद्र बोर्ड का गठन करता है तो कहा कि इससे राज्य में आंदोलन छिड़ सकता है। उन्होंने कर्नाटक व तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों से द्विपक्षीय बातचीत से उन मसलों को सुलझाने का अनुरोध किया जिनको तत्काल हल किया जाना है। देवेगौड़ा ने कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री भूख हड़ताल पर बैठकर दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार को उनके दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए। केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अनुसार कर्नाटक के किसानों के साथ न्याय करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर केन्द्र सरकार को कावेरी जल बंटवारे के मसले पर किस तरह आगे बढऩा है, इस बारे में अभी संभावनाओं को तलाशना है। कावेरी जल बोर्ड का गठन हमें स्वीकार्य नहीं है लिहाजा बेहतर होगा कि नरेंद्र मोदी सरकार को अभी इस मसले पर विचार करने के लिए समय मांगना चाहिए।
देवेगौड़ा ने कहा कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी गडकरी ने एक विवेकपूर्ण बयान दिया कि इस मामले की समीक्षा करने के लिए और समय की आवश्यकता है लेकिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने धरना दिया। मैं केन्द्र से अपील करता हूं कि वे दबाव में न झुकें। केन्द्र द्वारा समय मांगने के बारे में दायर हलफनामा कर्नाटक के लिए सकारात्मक पहलू है।
मुख्यमंत्री रह चुके देवेगौड़ा ने कहा कि बांधों में पानी होने पर कर्नाटक कोई समस्या पैदा नहीं करेगा। कुछ प्रक्रियाएं अपनाए जाने की जरुरत है। देवेगौड़ा ने कहा कि सरकार को गहराई के साथ इस आदेश का अध्ययन करना चाहिए और इसके बाद प्रधानमंत्री या जल संसाधन मंत्री की अध्यक्षता में एक प्राधिकरण या एक बोर्ड का गठन किये जाने पर निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे हालात के बीच तमिलनाडु के सांसदों का कावेरी मसले पर सदन की कार्यवाही में बाधा डालना व केन्द्र सरकार पर दबाव डालना उचित नहीं है। अंग्रेजों के शासनकाल में 1896 में मद्रास प्रेसिडेंसी के फैसले को लागू करने के समय से ही कर्नाटक पीडि़त रहा है और उसके साथ 1924 के बाद से ही निरंतर अन्याय हुआ है। उन्होंने कहा कि हम कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन का विरोध करते हैं और इस समस्या का राजनीतिक हल निकालने की योजना बनाने की मांग करते हैं।
देवेगौड़ा ने कहा कि केवल जनता दल(ध) ही कावेरी जल मसले पर कर्नाटक के हितों को मजबूती से पेश करने में सक्षम है लेकिन उनकी पार्टी के उनके सहित केवल दो ही सदस्य हैं। हम अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास कर रहे हैं और कावेरी पानी में कर्नाटक के हिस्से को खोने नहीं नहीं देंगे। 1991 में जब से कावेरी पंचाट का गठन हुआ है तभी से कर्नाटक को उसके जल अधिकारों से वंचित रखा गया है।
आज तमिलनाडु नहीं जाएंगी बसें
बेंगलूरु. कावेरी जल विवाद को लेकर तमिल संगठनों द्वारा गुरुवार को आहुत राज्यव्यापी हड़ताल के कारण कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआटीसी) ने दिन में तमिलनाडु जाने वाली सभी बसें रद्द कर दी है। केएसआरटीसी के प्रबंध निदेशक एस.आर. उमाशंकर ने बताया कि कुछ तमिल संगठन और राजनीतिक दलों ने 5 अप्रेल को राज्यव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसलिए सुबह से शाम तक करीब 250 बसें बंद रहेंगी। शाम तक यदि स्थिति सामान्य हो गई तो रात को चलने वाली बसें समय पर चलेंगी। उन्होंने कहा कि बसें नहीं चलने से निगम को करीब १ करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है। हालांकि, रेल सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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