राजधानी के सांसदों और विधायकों के साथ करीब साढ़े छह घंटे तक शहर के विकास के मसले पर चर्चा के बाद पत्रकारों से बातचीत में परमेश्वर ने कहा कि सरकार पालिका के प्रशासनिक पुनर्गठन के मसले पर बी एस पाटिल समिति की सिफारिशों से अवगत है।
परमेश्वर ने कहा कि सरकार प्रशासनिक ढांचे में बदलाव के मसले पर पाटिल समिति की सिफारिशों का अध्ययन करेगी लेकिन साथ ही आश्वस्त किया सरकर केक की तरह बेंगलूरु का बंटवारा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि समिति ने प्रशासनिक बदलाव की बात कही है, शहर को बांटने की नहीं। परमेश्वर ने कहा कि बैठक में इस मसले पर चर्चा नहीं हुई लेकिन इस पर आगे विचार-विमर्श की आवश्यकता है। यह पूछे जाने पर कि उनकी अपनी पार्टी की सरकार ने ही पालिका को तीन हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव पारित किया था, परमेश्वर ने कोई टिप्पणी नहीं की।
अतिक्रमण हटाया जाए
परमेश्वर ने पालिका के आयुक्त महेश्वर राव और महापौर संपतराज को निर्देश दिया कि बरसाती नालों या नालियों पर हुआ अतिक्रमण शीघ्र हटाया जाए। इस विषय में किसीदबाव में आने की जरूरत नहीं।
विकास निधि की राशि खर्च हो
उन्होने कहा कि सांसदों, विधायकों और पार्षदों को सरकार से मिलने वाला अनुदान सही तरीके से खर्च किया जाए। ऐसा नहीं करने पर अगले साल से अनुदान जारी नहीं होगा। पार्षदों को चाहिए कि वे अधिकारियों से सपंर्क कर लंबित कार्य पूरे कराने और अन्य समस्याएं हल कराने के लिए बात करें। बैठक में महिला एवं बाल कल्यााण मंत्री डॉ.जयमाला, ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री कृष्णा बैरेगौड़ा, सांसद एम.वीरप्पा मोइली, डी.के.सुरेश, पी.सी.मोहन, कई विधायक और पार्षद उपस्थित थे।
राष्ट्रपति के पास लंबित है विधेयक
पािटल समिति की सिफारिशों के आधार पर कांग्रेस सरकार ने २०१५ में मुख्य विपक्षी पार्टी के विरोध के बावजूद नाटकीय अंदाज में विधेयक पारित करवाया था। विधेयक में पालिका को तीन हिस्सों में बांटने का प्रावधान था लेकिन राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया और पिछले तीन साल से यह विधेयक राष्ट्रपति के पास लंबित है। विधानमंडल में विधेयक पारित होने के समय भी गठबंधन सरकार में भागीदार जद-एस ने विभाजन का विरोध किया था।