अब राजभवन पर टिकी निगाहें, कांगे्रस-जद (ध) ने किया मंथन
भाजपा ने भी शुरू की तैयारी, शाह भी बेंगलूरु आएंगे

बेंगलूरु. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनने के बाद अब निगाहें राजभवन की ओर टिक गई हैं। सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद अब भाजपा और कांग्रेस व जद ध अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। सरकार बनाने का दावा पेश करने के कुछ ही घंटे बाद कांग्रेस और जद ध के नेताओं ने एक पांच सितारा होटल में बैठक कर राजनीतिक हालात, भाजपा की रणनीति और सरकार गठन को लेकर चर्चा की। बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या के अलावा जद ध के राष्ट्रीय अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा, मल्लिकार्जुन खरगे, जी परमेश्वर, अशोक गहलोत , गुलाम नबी आजाद, केसी वेणुगोपाल भी शामिल हुए।
सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात पर सहमति बनी की गठबंधन की पहली प्राथमिकता किसी भी स्थिति में सरकार का गठन हो। दोनों दलों के बीच उपमुख्यमंत्री पद और विभागों के बंटवारे से जुड़े मसले बाद में सुलझाए जाएंगे। साथ ही इस बात पर सहमति बनी कि अगर राज्यपाल गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं करते हैं तो उसे अदालत में चुनौती दिया जाएगा। बैठक में भाजपा के ऑपरेशन कमल से बचाने की रणनीति पर भी चर्चा हुई। दोनों दलों के विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि विधायकों को आंध्र प्रदेश या केरल के रिजार्ट में रखा जा सकता है ताकि सरकार बनाने का न्यौता मिलने पर भाजपा उन्हें तोड़ ना सके।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने के लिए भाजपा कुछ विधायकों को तोडऩे की कोशिश कर रही है। भाजपा को सरकार बनाने का मौका मिलने की स्थिति में गठबंधन की कोशिश होगी कि येड्डियूरप्पा बहुमत साबित नहीं कर पाएं ताकि उन्हें मौका मिले। चर्चा है गठबंधन सरकार बनने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जी परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है जबकि भाजपा के खेमे में बी. श्रीरामुलू का नाम उपमुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं।
अगर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाती है तो यह राज्य में वर्ष 2004 की जैसी स्थिति की पुनरावृति होगी। तब 79 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी भाजपा थी लेकिन कांग्रेस औा जद ध ने गठबंधन कर धरम सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी लेकिन 20 महीने बाद वह सरकार कुमारस्वामी के नेतृत्व में विधायकों के बगावत के कारण गिर गई। इसके बाद जद ध ने एक बार फिर भाजपा के साथ कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनाई लेकिन 20 महीने बाद इसका भी पतन हो गया और 40 महीने के बाद मध्यावधि चुनाव कराना पड़ा। राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा है कि कांग्रेस और जद ध का चुनाव पश्चात यह गठबंधन इस बार कितने दिन तक चल पाएगा।
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