दरअसल, गुरुवार से शुरू होने वाले तीन दिवसीय शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले विधानसभा सचिवालय ने बुधवार को कार्यवाही की कवरेज को लेकर मीडिया पर कुछ पाबंदियां लगा दी। विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने विधानसभा की कार्यवाही के निजी टीवी चैनलों पर लाइव प्रसारण पर रोक लगाने के आदेश दिए। इसके बाद विधानसभा की सचिव वी के विशालाक्षी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि संसद की तरह अब सिर्फ दूरदर्शन के कैमरे को ही सदन की कार्यवाही को कवर करने की अनुमति होगी। सदन के अंदर निजी टीवी न्यूज चैनलों और प्रिंट मीडिया के कैमरामैनों को कार्यवाही कवर करने की अनुमति नहीं होगी। टीवी चैनल उपलब्ध कराए गए आउटपुट को डाउनलिंक कर सकेंगे जबकि प्रिंट मीडिया को फोटोग्राफ सूचना विभाग उपलब्ध कराएगा। इसके साथ ही पत्रकारों को भी मीडिया दीर्घा में मोबाइल फोन, टैबलेट या कोई अन्य गैजेट ले जाने की अनुमति नहीं होगी। विपक्ष इस कदम का विरोध कर रहा है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम अलोकतांत्रिक है।
गौरतलब है कि वर्ष 2012 में सत्तारुढ़ भाजपा को उस समय असहज स्थिति का सामना करना पड़ा था जब तीन मंत्रियों को निजी टीवी चैनलों के कैमरों ने मोबाइल फोन पर अश्लील क्लिपिंग देखते हुए पकड़ा था। इसके बाद से ही सदन में निजी टीवी चैनलों को लाइव कवरेज की अनुमति देने पर रोक लगाने की कोशिश होती रही है। एच डी कुमारस्वामी सरकार के समय भी सचिवालय में मीडिया के प्रवेश को सीमित करने की कोशिश हुई थी लेकिन विरोध के बाद सरकार ने कदम पीछे खींच लिए थे।