बैंगलोर

कुमारस्वामी के लिए अभी नहीं तो कभी नहीं

जद (ध) के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी इसी वजह से कांग्रेस और भाजपा के साथ गठबंधन सरकार के जरिए सत्ता सुख भोग चुके हैं

बैंगलोरApr 05, 2018 / 06:20 pm

Shailesh pandey

शैलेश पाण्डेय
बेंगलूरु. कर्नाटक की राजनीति का इतिहास दो दलीय व्यवस्था का रहा है, लेकिन एक दशक पूर्व भाजपा के जड़ें जमाने के बाद से यहां स्थिति बहुदलीय हो गई है। जद (ध) के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी इसी वजह से कांग्रेस और भाजपा के साथ गठबंधन सरकार के जरिए सत्ता सुख भोग चुके हैं। वह कर्नाटक में लिंगायत के बाद सबसे बड़े वोक्कालिगा समुदाय पर पार्टी की पकड़ और राज्य में त्रिशंकु विधानसभा की स्थति में एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं। उनका चुनाव प्रचार छह माह पहले ही शुरू हो गया, लेकिन उनके सपनों के सच होने में कई बाधाएं भी हैं। पिछले चुनाव में 40 सीट जीतने वाली जद (ध) सत्ता से 12 साल से बाहर है। उसके लिए यह चुनाव अभी नहीं तो कभी नहीं की स्थिति में है। वह अपने परंपरागत वोक्कालिगा वोटों का ध्रुवीकरण करने में जुटे हैं। उसने इस बार दलित वोटों की खातिर बीएसपी से गठजोड़ किया है। पार्टी में आंतरिक धड़ेबाजी तथा देवगौडा परिवार में कलह भी उसके लिए नुकसानदायक है।
अवसरवादी होने का तमगा

जद ध का 1999 में गठन के बाद से सबसे अच्छा प्रदर्शन 2004 में रहा। तब उसने 59 सीट जीती थी और पहले कांग्रेस तथा फिर भाजपा के साथ गठबंधन से सरकार बनाई थी। तीन विधानसभा चुनाव में उसका मत औसतन 20 प्रतिशत के आसपास रहा। गठबंधन सरकार और भाजपा और कांग्रेस को समर्थन देने के कारण इस पर अवसरवादी के अलावा जातिवादी तथा वंशवादी पार्टी होने का तमगा भी लगा।
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सिद्धरामय्या व उनके पुत्र को बाहर का रास्ता दिखाएंगे मतदाता : कुमारस्वामी
बेंगलूरु . जनता दल (ध) के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या व उनके पुत्र यतींद्र दोनों को ही बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। कुमारस्वामी ने बुधवार को यहां आरोप लगाया कि मतदाताओं को लुभाने के लिए सिद्धरामय्या फूट डालो व राज करो की नीति अपना रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के अनेक नेता उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। सिद्धरामय्या ने वोक्कालिगा समुदाय के चंद नेताओं को जद (ध) के खिलाफ बोलने को उकसाया है। सिद्धरामय्या वरुणा सीट छोड़कर चामुंडेश्वरी से चुनाव लडऩे जा रहे हैं। वे चामुंडेस्वरी का विकास करने के लिए नहीं बल्कि अपने बेटे यतींद्र के लिए वरुणा सीट खाली करने के मकसद से इस सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं लेकिन इस बार यह साबित हो जाएगा कि उनका यह निर्णय गलत है। सिद्धरामय्या की राजनीतिक यात्रा का वहीं से अंत होगा जहां से उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा कि जदध का लक्ष्य 50 फीसदी सीटों पर जीत हासिल करना है। वे रामनगर से चुनाव लड़ेंगे और यदि लोगों ने दबाव डाला तो वे दूसरी सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं।

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